Tuesday, November 17, 2009

तेरा सलोना बदन-है --कि है ये राग यमन -गज़ल



तसुव्वरात में लाऊँ तेरा सलोना बदन
भला मै कैसे भुलाऊँ तेरा सलोना बदन


मगन यूँ होके तुझे मैं निहारूँ, मेरे बलम

पलक-झपक मैं छुपाऊँ तेरा सलोना बदन


नयन तेरे हैं ये मस्ती के प्याले मेरी प्रिया
मैं दिल में अपने बसाऊँ तेरा सलोना बदन

ढलकती-सी तेरी पलकें, ये बांकपन तेरा
नजर से जग की बचाऊँ तेरा सलोना बदन



किताब है ये ग़ज़ल की, कि है ये राग यमन

किसी को मै न सुनाऊँ तेरा सलोना बदन



बड़े कुटिल हैं इरादे जनाब ‘श्याम’ के तो

भला मैं कैसे बचाऊँ तेरा सलोना बदन


मफ़ाइलुन. फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन




मेरा एक और ब्लॉग
http://katha-kavita.blogspot.com/

19 comments:

  1. बहुत सुन्दर गज़ल है बधाई

    ReplyDelete
  2. वाह !
    वाह !

    बदन सलोना हो न हो,

    आपकी ग़ज़ल बड़ी सलोनी है..........

    अभिनन्दन !

    ReplyDelete
  3. सलोने बदन और राग यमन का अच्छा गठबंधन :)

    ReplyDelete
  4. किताब है ये ग़ज़ल की, कि है ये राग यमन
    किसी को मै न सुनाऊँ तेरा सलोना बदन ...

    BAHUT SUNDAR GAZAL HAI .... SHRANGAAR SE BHARPOOR .. AUR YE SHER SABSE KAMAAL KA HAI ...

    ReplyDelete
  5. किताब है ये ग़ज़ल की, कि है ये राग यमन
    किसी को मै न सुनाऊँ तेरा सलोना बदन

    Naye Sher khoob bhale lage. Thankyou Sir!

    ReplyDelete
  6. किताब है ये ग़ज़ल की, कि है ये राग यमन
    किसी को मै न सुनाऊँ तेरा सलोना बदन

    क्या बात है श्याम जी बहुत खूब...वाह

    नीरज

    ReplyDelete
  7. बढ़िया ग़ज़ल.. सुंदर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार श्याम जी

    ReplyDelete
  8. सलोनी सी वाह वाह आप की इस सुंदर सलोनी गजल के लिये.धन्यवाद

    ReplyDelete
  9. bahut mushkil bah'r pe ustadana kalaam aasaani se .... badhaayee shyaam ji ....



    arsh

    ReplyDelete
  10. wah kya baat hai shyaam ji, salona badan, behatareen.

    ReplyDelete
  11. pasand aayi aapki ghajal...

    ReplyDelete
  12. वाह वाह क्या बात है! बहुत ही सुंदर ग़ज़ल है! इस बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!

    ReplyDelete
  13. सुन्दर राग यमन है ये तेरी गज़ल,
    सलोनी है श्याम ये तेरी गज़ल ।

    ReplyDelete
  14. गज़ल तो बेहतर है, लेकिन आपके इरादे नेक नहीं लगते.

    ReplyDelete
  15. किताब है ये ग़ज़ल की, कि है ये राग यमन
    किसी को मै न सुनाऊँ तेरा सलोना बदन


    -बहुत उम्दा कहा, सर जी!! बेहतरीन!!

    ReplyDelete
  16. आप सभी का हृदय से आभार
    भाई गोविन्द गुलशन एक सिद्ध हस्त गज़लगो हैं उन्होने मतले में एक सुझाव दिया है जो सटीक है इस लिये मूल गज़ल में वह आ गया है
    पहले
    तसुव्वरात में लाऊँ तेरा सलोना बदन
    कहो मै कैसे भुलाऊँ तेरा सलोना बदन
    अब
    तसुव्वरात में लाऊँ तेरा सलोना बदन
    बता मै कैसे भुलाऊँ तेरा सलोना बदन
    कहो के साथ तेरा अटपटा हो जाता है तुम्हारा आना चाहिये ऐसा कहना है गुलशन जी का,मुझे भी जायज लगा
    इस बात पर या मेरी किसी भी गज़ल के किसी भी शे‘र पर आप सभी के सुझावों का स्वागत है

    ReplyDelete
  17. सखा जी आप की गज़लें पढ़कर बहुत अच्छा लगा. आप को पढ़कर आपको सुनने का मन करता है.

    ReplyDelete