Tuesday, November 24, 2009

घर आपका टूटा नहीं होता ---गज़ल


उसको अगर परखा नहीं होता सखा
घर आपका टूटा नहीं होता सखा


मैने तुझे देखा नहीं होता सखा

फिर चाँद का धोखा नहीं होता सखा


हर रोज ही तो है सफर करता मगर

सूरज कभी बूढ़ा नहीं होता सखा


इजहार है इक दोस्ताना प्यार तो
इसका कभी सौदा नहीं होता सखा


उगने की खातिर धूप भी है लाजमी

बरगद तले पौधा नहीं होता सखा


मुस्तफ़इलुन-मुस्तफ़इलुन-मुस्तफ़इलुन

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भारत से श्याम सखा की कहानी: एनकाउंटर-a love story

4 comments:

  1. इजहार है इक दोस्ताना प्यार तो
    इसका कभी सौदा नहीं होता सखा


    बेहतरीन....बहुत बढ़िया गज़ल!!

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  2. उगने की खातिर धूप भी है लाजमी
    बरगद तले पौधा नहीं होता सखा
    wah shyam ji , behatareen .

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  3. डॊ.सखाजी आपने तो हर शे’र को मक्ता बना दिया है। क्या बात है :)

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  4. Nice one Shyam ji...

    I usually post your gazals on my blog, when ever i like it...

    My blog is http://yogi-collection.blogspot.com

    Please let me know, in case you have any objection..I'll remove it...

    By the way, I always specify the source where ever I know....

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