ख्वाब हर हाल में है यार भला सा होता
मैं गुनहगार न होता तो फरिश्ता होता
टूटता घर न हमारा यूं कभी भी जानम
दिल में तेरे भी अगर प्यार जरा सा होता
चाँद जैसा है बदन झील सी तेरी आंखें
तुझ पे हर कोई फिदा होता न तो क्या होता
तू चली आती है छत पर जो अकेली जानम
चाँद को ख्वाब सरीखा सा है धोखा होता
जिन्दगी भर है जिसे ख्वाब में पूजा मैने
रूबरू होता अगर वो तो करिश्मा होता
यार इलजाम भला क्या तू लगाता मुझपर
झांक कर दिल में कभी अपने जो देखा होता
क्या बिगड़ते यूं सभी काम तुम्हारे हमदम
बात करने का अगर तुमको सलीका होता
यार इलजाम भला क्या तू लगाता मुझपर
झांक कर दिल में कभी अपने जो देखा होता
क्या बिगड़ते यूं सभी काम तुम्हारे हमदम
बात करने का अगर तुमको सलीका होता
बेवफ़ा‘श्याम’अगर होता नहीं जो यारो
आठवां फिर तो वो दुनिया का अजूबा होता
फ़ाइलातुन,फ़इलातुन.फ़इलातुन ,फ़ेलुन
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
bahut khoob
ReplyDeleteक्या बिगड़ते यूं सभी काम तुम्हारे हमदम
ReplyDeleteबात करने का अगर तुमको सलीका होता
क्या बात कही है ...जबरदस्त गज़ल..
एक डॊक्टर तो फ़रिश्ता ही होता है ना :)
ReplyDeleteयार इलजाम भला क्या तू लगाता मुझपर
ReplyDeleteझांक कर दिल में कभी अपने जो देखा होता
बहुत खूब ।
लेकिन ऐसी यादें कहाँ से आ गई ?
बहुत ही सुंदर जी. धन्यवाद
ReplyDeleteलाजवाब गज़ल बधाई।
ReplyDeleteजिन्दगी भर है जिसे ख्वाब में पूजा मैने
ReplyDeleteरूबरू होता अगर वो तो करिश्मा होता
यार इलजाम भला क्या तू लगाता मुझपर
झांक कर दिल में कभी अपने जो देखा होता..
वाह क्या बात है! अद्भुत सुन्दर पंक्तियाँ! शानदार और लाजवाब ग़ज़ल के लिए बधाई!
मैं गुनहगार न होता तो फरिश्ता होता
ReplyDeleteगुनहगारी का यह एहसास ही तो फरिश्ता बनाता है.
सुन्दर गज़ल
वाह जी, क्या बात है!!!
ReplyDeleteएक डॊक्टर तो फ़रिश्ता ही होता है ना :)
ReplyDeletesabhaar...cmpershad ji..
matalaa gazab ka hai bhai saab
ReplyDeleteचाँद जैसा है बदन झील सी तेरी आंखें
ReplyDeleteतुझ पे हर कोई फिदा होता न तो क्या होता
तू चली आती है छत पर जो अकेली जानम
चाँद को ख्वाब सरीखा सा है धोखा होता
ख्वाब दर ख्वाब हकीकत होता,गुनाह न होता
मेरा हर ख्वाब तुझे मेरे ख्वाबों में लाया होता
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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !
यार इलजाम भला क्या तू लगाता मुझपर
ReplyDeleteझांक कर दिल में कभी अपने जो देखा होता
क्या बिगड़ते यूं सभी काम तुम्हारे हमदम
बात करने का अगर तुमको सलीका होता
Bahut sunder gazal.
maan gye!
ReplyDeletekhoob kah rahe hain, bhai ji !
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