Monday, April 4, 2011

तसुव्वरात में लाऊँ तेरा सलोना बदन

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तसुव्वरात में लाऊँ तेरा सलोना बदन
कहो मै कैसे भुलाऊँ तेरा सलोना बदन

मगन यूँ होके तुझे मैं निहारूँ, मेरे बलम
पलक-पलक मैं छुपाऊँ तेरा सलोना बदन

नयन तेरे हैं ये मस्ती के प्याले मेरी प्रिया
मैं दिल में अपने बसाऊँ तेरा सलोना बदन

ढलकती-सी तेरी पलकें, ये बांकपन तेरा
नजर से जग की बचाऊँ तेरा सलोना बदन

किताब है ये ग़ज़ल की, कि है ये राग यमन
किसी को मै न सुनाऊँ तेरा सलोना बदन

बड़े कुटिल हैं इरादे जनाब ‘श्याम’ के तो
भला मैं कैसे बचाऊँ तेरा  सलोना बदन

मफ़ाइलुन. फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन





मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

4 comments:

  1. `मैं दिल में अपने बसाऊँ तेरा सलोना बदन'

    या तो दिल बड़ा करो या बदन छोटा :)

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  2. वाह वाह!! बेहतरीन..

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  3. koi kamentree nahin hai teraa badan ,
    kaho kyon sunaaun ,salonaa badan .

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  4. bahut haseen hai ai shyam ye gazal teri

    kishan tiwari

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