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जग-दिखावे की अदा मत करना
भूल जाना पर दगा मत करना
जख्म जो तुमने दिया,अब उस पर
अपने दामन से हवा मत करना
है नहीं ये जख्म भरने वाला
खामखा इसकी दवा मत करना
नेकियां तो हो गई गुम यारो
अब किसी का तुम भला मत करना
चाहो गर तुमको सताये न कोई
फिर किसी का तुम बुरा मत करना
अब कहां सुनता है वो फरियादें
तुम इबादत या दुआ मत करना
लोग पूछेंगे उदासी का सबब
हाशिये को तुम सफा मत करना
मतलबी हैं लोग इन शहरों के
इनसे तुम रस्मो-वफा मत करना
धन तो है ही चीज आनी जानी
धन पे झूठी तुम अना मत करना
दिल-फरेबों की है बस्ती ऐ ‘श्याम’
दिल किसी को भी अता मत करना
फ़ाइलातुन।फ़ाइलातुन।फ़ेलुन
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
जग-दिखावे की अदा मत करना
ReplyDeleteभूल जाना पर दगा मत करना
-बहुत खूब कहा!! वाह!!
बहुत अच्छी लगी आपकी ये गज़ल !
ReplyDeleteचाहो गर तुमको सताये न कोई
ReplyDeleteफिर किसी का तुम बुरा मत करना
खूबसूरत खयाल ..
बेहतरीन गज़ल
गांव के लोग भी होशियार हो गये हैं
ReplyDeleteपर उनका ज़िक्र यहां मत करना:)
चाहो गर तुमको सताये न कोई
ReplyDeleteफिर किसी का तुम बुरा मत करना
अब कहां सुनता है वो फरियादें
तुम इबादत या दुआ मत करना..
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! शानदार और लाजवाब ग़ज़ल लिखा है आपने!
kya khau ? bas lajwaab...dhansuuuuu....... jai hind jai bharat
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .... अभिव्यक्ति तो कमाल की है....अच्छे काफिये में ग़ज़ल बंधी है.....
ReplyDeleteइतनी प्यारी ग़ज़ल हम सब तक पहुँचाने का शुक्रिया.
जग-दिखावे की अदा मत करना
भूल जाना पर दगा मत करना
जख्म जो तुमने दिया,अब उस पर
अपने दामन से हवा मत करना
aap ki sabhi gajalen pyari hain,baar prhne ka man karta hai.
ReplyDeleteRRaghunath Misra,Kota