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मुहब्बत की वापिस निशानी करें।
शुरू फिर जो चाहें कहानी करें।।
है घाटे का सौदा मुहब्बत सदा।
हिसाब अब लिखें या जुबानी करें।।
चलो नागफनियाँ उखाड़ें सभी।
वहाँ फिर खड़ी रात-रानी करें।।
है रुत पर भला बस किसी का चला।
चलो बातें ही हम सुहानी करें।।
खरीदे बुढापे को कोई नहीं।
सभी तो पसन्द अब जवानी करें।।
बहुत जी लिये और मर भी लिये।
बता क्या तेरा जिन्दगानी करें।।
रवायत नहीं ‘श्याम’ जब ये भली।
तो फिर बातें क्यों हम पुरानी करें।
फ़ऊलुन।फ़ऊलुन।फ़ऊलुन।फ़ऊलुन
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
badiya gazal....badhai bhai ji...
ReplyDeletekhoobsoorat gazal bhaai sahib sadaa kee tarh -kabhi idhr kee zaanib bhi rukh kijiye
ReplyDeleteveerubhai1947.blogspot.com
par kabhi to aaiye .
veerubhai .
बहुत सुन्दर ग़ज़ल ... खासकर मुझे ये शेर बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteचलो नागफनियाँ उखाड़ें सभी।
वहाँ फिर खड़ी रात-रानी करें।।
देख लो दुनिया वालों, इस तरह लिया जाता है बदला
बहुत दिनों बाद वापसी हुई और.... वह भी घाटॆ के साथ :)
ReplyDeleteलाजवाब !!!!!!घाटे का भी सौदा हो तो भी सब को स्वीकार्य तो है.कभी कभी हारने में भी नितांत सुख है
ReplyDeleteहै रुत पर भला बस किसी का चला।
ReplyDeleteचलो बातें ही हम सुहानी करें ।।
सुन्दर ग़ज़ल ...
चलो नागफनियाँ उखाड़ें सभी।
ReplyDeleteवहाँ फिर खड़ी रात-रानी करें।।....ek behtar duniya banane ka sankalp....bahut khoob. ghzal achchhi lagi
चलो नागफनियाँ उखाड़ें सभी।
ReplyDeleteवहाँ फिर खड़ी रात-रानी करें।
ye sher, kuchh samajh nahi aya, what is naagfaniyan?
Waise gazal, bahut hi pasand hai, behad khoobsoorat gazal.
प्रिय योगेश एवं सभी मित्रों
ReplyDeleteगजल सराहने हेतु नागफनी यानि कुक्र्मुत्ते यानि कैक्टस जो नकारात्मकता कष्ट का प्रतीक हैं हटा कर वहाँ रजनी गंधा[सुख प्रेम ] के प्रतीक को रोपें |
श्याम सखा
बहुत प्यारी ग़ज़ल है.......
ReplyDeleteमतला ता मक्ता हर शेर शानदार.... अभिव्यक्तियों में डूबा हुआ हर शेर !
चलो नागफनियाँ उखाड़ें सभी।
वहाँ फिर खड़ी रात-रानी करें।।
काश ये सब समझ सकते....!!!!
saari parha. gajalen bahut achhi hain.kahti hain,kahalwati hain,kamiyon ko durust karwati hain.prerak,sunder,kam shavdon,chhoti bahar,sahi bandis aur mukammal kahne ki puri samarth dikhti hai.sadhuvad va mitron ko prerit karte rahne ki sadbhawna ko naman.aap swasth-prasanna rah hanste hansate rahen.pariwar mein sabko yaad sahit,
ReplyDeleteRAGHUNATH MISRA
खरीदे बुढापे को कोई नहीं।
ReplyDeleteसभी तो पसन्द अब जवानी करें।।
बहुत जी लिये और मर भी लिये।
बता क्या तेरा जिन्दगानी करें।।
bahut badiyaa gajal.sahi baat likhi aapne.dil ko choo gai.badhaai aapko.
please visit my blog and leave the comments also.thanks.
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की जा रही है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच
है घाटे का सौदा मुहब्बत सदा।
ReplyDeleteहिसाब अब लिखें या जुबानी करें।।
चलो नागफनियाँ उखाड़ें सभी।
वहाँ फिर खड़ी रात-रानी करें।।
खूबसूरत गज़ल ..
मुहब्बत घाटे का सौदा है हिसाब जुबानी करें।।
ReplyDeletewah saab
ReplyDeleteमुझे इसकी हर कङी अच्छी लगी।
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