कोई मेरे जख्म सी दे, चैन आये तब कहीं
कोई मेरे गम खरीदे, चैन आये तब कहीं
जिस्म तो तूने नवाजा, खूबसूरत है उसे
गर कहीं से रूह भी दे, चैन आये तब कहीं
सूखकर सहरा हुए हैं, नैन मेरे देख तो
इनको सुख की भी नमी दे, चैन आये तब कहीं
छू रहे हैं दुश्मनों वेफ हौसले आकाश को
उनको भी तू इक गमी दे चैन आये तब कहीं
है लबालब झोली मौसम की गमों से भर रही
खारों को भी तू हँसी दे, चैन आये तब कहीं
हैं लगी लाशें भी अपना चैन खोने आजकल
मौत को भी जिं दगी दे चैन आये तब कहीं
अश्क तो तूने बहुत मुझको दिये हैं ऐ खुदा
पर लबों को तू हँसी दे चैन आये तब कहीं
है जहाँ मातम उन्हें तू हौसला कर अता
जो है माँगा वो सभी दे चैन आये तब कहीं
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ेलुन[ फ़ाइलुन]
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
चैन आये तब कहीं....har sher umda !
ReplyDeleteहै लबालब झोली मौसम की गमों से भर रही
ReplyDeleteफूलों को भी तू हँसी दे, चैन आये तब कहीं
बहुत ही सुन्दर शेर ... लाजवाब ग़ज़ल !
ग़ज़ल में अब मज़ा है क्या ?
अश्क तो तूने बहुत मुझको दिये हैं ऐ खुदा
ReplyDeleteपर लबों को तू हँसी दे चैन आये तब कहीं
-उम्दा शेर!!
अश्क तो तूने बहुत मुझको दिये हैं ऐ खुदा
ReplyDeleteपर लबों को तू हँसी दे चैन आये तब कहीं
...वाह! बहुत बढ़िया शेर।
vaah jism ke sine se lekar usme ruh funk dene ki chahat subhaan allah ...akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteप्रिय दोस्तों ग़ज़ल कबूलने हेतु शुक्रिया
ReplyDeleteएक गलती टाइप में हो गयी थी देखें इस शे`र को दुबारा
श्याम सखा
है लबालब झोली मौसम की गमों से भर रही
[फूलों] की जगह ===खारों को भी तू हँसी दे, चैन आये तब कहीं
बेहतरीन!
ReplyDeleteसूखकर सहरा हुए हैं, नैन मेरे देख तो
ReplyDeleteइनको सुख की भी नमी दे, चैन आये तब कहीं..
बहुत सुन्दर और शानदार शेर! लाजवाब ग़ज़ल!प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!
bahut dinno baad mili achhi gazlo ke liye badhai. dhanyawad.
ReplyDeletekishan tiwari
है लबालब झोली मौसम की गमों से भर रही
ReplyDeleteचलो चल दे कहीं दूर,,,,अब दूर कहीं ॥