Friday, July 22, 2011

मत बोल आधा सच---gazal shyam skha shyam










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खुद से तू मत बोल आधा सच
झूठ में मत तू घोल आधा सच

मच जायेगा शोर जगत में
ऐसे मत तू खोल आधा सच

बनिया है न तू है सौदागर
फिर भी रहा क्यों तोल आधा सच

झूठों का दबदबा न छाये
यूँ तो न कर तू गोल आधा सच

बोल युधिष्ठिर भान्ति न कुछ तू
देगा खोल तू पोल  आधा सच

माना है इतिहास अधूरा
क्या है नहीं भूगोल आधा सच

फ़ेलु.फ़ऊल फ़ऊल फ़ऊलुन, [,०६,05








मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

7 comments:

  1. बनिया है न तू है सौदागर
    फिर भी रहा क्यों तोल आधा सच
    झूठों का दबदबा न छाये
    यूँ तो न कर तू गोल आधा सच...
    वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! न कभी आधा सच बोलना चाहिए और न कभी आधा झूठ! बोलना ही हो तो हर बात पूरी कहने में ही बेहतर है! शानदार ग़ज़ल!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  2. Kamal ki rachna likhi hai apne, jitni tarif ki jaye kam hai.
    Jai hind jai bharat

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  3. Kamal ki rachna likhi hai apne, jitni tarif ki jaye kam hai.
    Jai hind jai bharat

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  4. खूबसूरत गज़ल ..आधा सच ज्यादा कष्ट देता है

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  5. वाह श्याम जी अच्छा नापतोल के लिखा है आपने.....

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  6. वाह!! बहुत शानदार....आधे सच की दुनिया में आधे सच की बानगी.

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  7. 'आधे सच' की बात कहकर आपने पूरा ही सच कह दिया है.
    सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार.

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