Friday, July 1, 2011

ग़म हुआ जवान था----- gazal shyam skha shyam


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               गूंगे का बयान था
              तीर था कमान था

                प्यार का उफान था
               ग़म हुआ जवान था

               छोड़ते ही घर, लगा
              अपना तो जहान था

              पीड़ की वो हाट थी
              प्यार का मचान था

              बाप था ढलान पर
             सुत हुआ जवान था

            घर बिका किसान का
            शेष पर लगान था

फ़ाइलुन,मफ़ाइलुन   ..२००६


मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

7 comments:

  1. "छोड़ ते ही घर लगा ,अपना तो जहां था "नेनो बहर की अच्छी ग़ज़ल .

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  2. घर बिका किसान का
    शेष पर लगान था

    बहुत खूब ...अच्छी गज़ल

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  3. बेहतरीन...वाह!

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  4. वाह! बहुत सुन्दर और शानदार ग़ज़ल! उम्दा प्रस्तुती!

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  5. राजनीति का क्षेत्र था
    घोड़ा गधा समान था :)

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  6. गजब की प्रस्तुति है श्याम जी.
    आपने शब्दों से ही ऐसा विस्फोट कर दिया है कि मुहँ से
    'आह','बहुत खूब' और 'वाह' ही निकल पा रहा है.

    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.

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  7. छोड़ते ही घर, लगा
    अपना तो जहान था
    ye sher sab se badhiya lagaa ...

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