राह मिल्यो वो छैल छबीलो
जब तैं प्रीत श्याम सौं कीनी
तब तैं मीरां भई बांवरी,प्रेम रंग रस भीनी
तन इकतारा,मन मृदंग पै,ध्यान ताल धर दीनी
अघ औगुण सब भये पराये भांग श्याम की पीनी
राह मिल्यो वो छैल-छ्बीलो,पकड़ कलाई लीनी
मोंसो कहत री मस्त गुजरिया तू तो कला प्रवीनी
लगन लगी नन्दलाल तौं सांची हम कह दीनी
जनम-जनम की पाप चुनरिया,नाम सुमर धोय लीनी
सिमरत श्याम नाम थी सोई,जगी तैं नई नवीनी
जब तैं प्रीत श्याम तैं कीनी
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बहुत सुन्दर ...जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteजन्माष्टमी की बधाई डॉक्टर साहब॥
ReplyDeleteबहुत खूब .. जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !!
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