फूलों की बस्ती से दो पल चुरा लें हम
भँवंरों की मस्ती से दो पल चुरा लें हम
तारे चन्दा चलते हैं जिसके इशारे पर
आज उसकी हस्ती से दो पल चुरा लें हम
खिलवत तो महंगी है अबके बरस यारो
इस भीड़ की मस्ती से दो पल चुरा लें हम
माँगे से मौत यहाँ कब है भला मिलती
क्यों न जबरदस्ती से दो पल चुरा लें हम
डूबें मौजों में ‘श्याम’ ऐसी कहाँ किस्मत
बल खाती कश्ती से दो पल चुरा लें हम
फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,मफ़ाएलुन
मेरा एक और ब्लॉग
http://katha-kavita.blogspot.com/
बहुत बढिया गजल है बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteऐसी खूबसूरत चोरी कौन न करना चाहें॥
ReplyDeleteवाह , अति सुन्दर ।
ReplyDeleteवाह!! बहुत खूब!!
ReplyDeletekhush numa mousam ki ye teri gazal achhi lagi,
ReplyDeleteKISHAN TIWARI
achhi gazal Dr. saheb, Badhai !!!!!!!!!
ReplyDeleteडूबें मौजों में ‘श्याम’ ऐसी कहाँ किस्मत
ReplyDeleteबल खाती कश्ती से दो पल चुरा लें हम
डॉ साहब बहुत शानदार लिखा है......
Dr.Sahab,namaskar.Is blog par aapki kuchh bahut achchhi gazalen padane ko mili.Badhai.Ajkal aapka niwas ka pata gum raha hai mujhase.pl.send.My email-drdinesh57@gmail.com.
ReplyDeleteDr.Dinesh pathak shashi.28,Sarang vihar,Mathura-281006
Bahut sundar gazal k liye bahut bahut badhai.
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