Friday, December 9, 2011

फूलों की बस्ती से दो पल चुरा लें हम-गज़ल श्याम सखा; श्याम’

 


फूलों की बस्ती से दो पल चुरा लें हम

भँवंरों की मस्ती से दो पल चुरा लें हम



तारे चन्दा चलते हैं जिसके इशारे पर

आज उसकी हस्ती से दो पल चुरा लें हम



खिलवत तो महंगी है अबके बरस यारो

इस भीड़ की मस्ती से दो पल चुरा लें हम



माँगे से मौत यहाँ कब है भला मिलती

क्यों जबरदस्ती से दो पल चुरा लें हम



डूबें मौजों मेंश्यामऐसी कहाँ किस्मत

बल खाती कश्ती से दो पल चुरा लें हम

फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,मफ़ाएलुन
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

9 comments:

  1. बहुत बढिया गजल है बधाई स्वीकारें।

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  2. ऐसी खूबसूरत चोरी कौन न करना चाहें॥

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  3. वाह , अति सुन्दर ।

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  4. वाह!! बहुत खूब!!

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  5. khush numa mousam ki ye teri gazal achhi lagi,

    KISHAN TIWARI

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  6. achhi gazal Dr. saheb, Badhai !!!!!!!!!

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  7. डूबें मौजों में ‘श्याम’ ऐसी कहाँ किस्मत
    बल खाती कश्ती से दो पल चुरा लें हम
    डॉ साहब बहुत शानदार लिखा है......

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  8. Dr.Sahab,namaskar.Is blog par aapki kuchh bahut achchhi gazalen padane ko mili.Badhai.Ajkal aapka niwas ka pata gum raha hai mujhase.pl.send.My email-drdinesh57@gmail.com.
    Dr.Dinesh pathak shashi.28,Sarang vihar,Mathura-281006

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  9. www.drdineshpathakshashi.blogspot.com1/11/14, 11:35 PM

    Bahut sundar gazal k liye bahut bahut badhai.

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