35न.ह
धुआँ देखा है लेकिन तुमने चिंगारी नहीं देखी
कि चिलमन में छुपी उसकी वो बेजारी नहीं देखी
बना है आशियां तो आपका ये खूबसूरत ही
चुकाई किसने कीमत कितनी है भारी नहीं देखी
चलो माना कि तुम भी देख लेते हो कई बातें
फ़कत कुछ उलझनें देखीं हैं पर सारी नहीं देखी-
बहुत है जिक्र महफ़िल में मेरा, मेरी ही जफ़ाओं का
मगर मुझ में बसी है झील जो खारी नहीं देखी
नहीं है ‘श्याम’ भी पागल कहीं कुछ कम मेरे यारो
हैं ढूंढीं औरों की कमियां,समझदारी नहीं देखी
मफ़ाएलुन,मफ़ाएलुन,मफ़ाएलुन,मफ़ाएलुन
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
दिल तो देखा है तुमने, खूने जिगर नहीं देखा !
ReplyDeleteवाह बहुत खूब ..
ReplyDelete.. सपरिवार आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!
बहुत उम्दा!!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को दिवाली की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
प्यारी बहर में बुनी शादाबी अल्फाजों से पगी रचना अच्छी है.....
ReplyDeleteहरेक शेर खूबसूरत.....
मक्ता इस ग़ज़ल की इन्तहा है..... वाह !!!
नहीं है ‘श्याम’ भी पागल कहीं कुछ कम मेरे यारो
हैं ढूंढीं औरों की कमियां,समझदारी नहीं देखी
achchi ghazal hai
ReplyDeleteचलो माना कि तुम भी देख लेते हो कई बातें
ReplyDeleteफ़कत कुछ उलझनें देखीं हैं पर सारी नहीं देखी-
वाह!
चलो माना कि तुम भी देख लेते हो कई बातें
ReplyDeleteफ़कत कुछ उलझनें देखीं हैं पर सारी नहीं देखी-
wahhhhhhhh kya baat h sir ji,. sach kaha h aapne
बेहतरीन प्रस्तुति।
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