Sunday, October 23, 2011

धुआँ देखा है लेकिन तुमने चिंगारी नहीं देखी--gazal shyam skha shyam











35न.ह

धुआँ देखा है लेकिन तुमने चिंगारी नहीं देखी
कि चिलमन में छुपी उसकी वो बेजारी नहीं देखी

बना है आशियां तो आपका ये खूबसूरत ही
चुकाई किसने कीमत कितनी है भारी नहीं देखी

चलो माना कि तुम भी देख लेते हो कई बातें
फ़कत कुछ उलझनें देखीं हैं पर सारी नहीं देखी-


बहुत है जिक्र महफ़िल में मेरा, मेरी ही जफ़ाओं का
मगर मुझ में बसी है झील जो खारी नहीं देखी

नहीं है ‘श्याम’ भी पागल कहीं कुछ कम मेरे यारो
हैं ढूंढीं औरों की कमियां,समझदारी नहीं देखी




मफ़ाएलुन,मफ़ाएलुन,मफ़ाएलुन,मफ़ाएलुन









मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

9 comments:

  1. दिल तो देखा है तुमने, खूने जिगर नहीं देखा !

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  2. वाह बहुत खूब ..
    .. सपरिवार आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!

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  3. बहुत उम्दा!!!

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  4. बहुत बढ़िया लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
    आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को दिवाली की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  5. प्यारी बहर में बुनी शादाबी अल्फाजों से पगी रचना अच्छी है.....
    हरेक शेर खूबसूरत.....
    मक्ता इस ग़ज़ल की इन्तहा है..... वाह !!!

    नहीं है ‘श्याम’ भी पागल कहीं कुछ कम मेरे यारो
    हैं ढूंढीं औरों की कमियां,समझदारी नहीं देखी

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  6. चलो माना कि तुम भी देख लेते हो कई बातें
    फ़कत कुछ उलझनें देखीं हैं पर सारी नहीं देखी-
    वाह!

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  7. चलो माना कि तुम भी देख लेते हो कई बातें
    फ़कत कुछ उलझनें देखीं हैं पर सारी नहीं देखी-
    wahhhhhhhh kya baat h sir ji,. sach kaha h aapne

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  8. बेहतरीन प्रस्तुति।

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