Thursday, February 9, 2012

कल तलक तो वो अजनबी सा था- गज़ल -श्याम सखा श्याम


यार  मौका  तो  यूं  खुशी  का  है
दिल मगर  जाने क्यों दुखी सा है


तेरा  गम  भी  लगे  खुशी सा है
ये  समन्दर  मीठा,  नदी  सा  है

कल तलक तो वो अजनबी सा था
हो  गया  आज   जिन्दगी  सा  है

बेखुदी   मेरी   है,    खुदा      मेरा
दिल हुआ जाता क्यों किसी का है

याद  उसकी   मुझे  सताती    है
 ‘श्याम’किस्सा ये बेबसी का है


फ़ाइलातुन,मफ़ाइलुन, फ़ेलुन
काफ़िया--- आ  [का, सा ]





मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

4 comments:

  1. बेहतरीन भाई जी!!

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  2. बेखुदी मेरी है, खुदा मेरा
    दिल हुआ जाता क्यों किसी का है

    bahut badhiya hai
    kishan tiwari

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  3. कल तलक तो वो अजनबी सा था
    हो गया आज जिन्दगी सा है

    यह शेर मुझे बहुत पसंद आया|

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