Thursday, February 23, 2012

गया है टूट दिल अपना---gazal shyam skha shyam

 
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चले ख्यालों के जब लश्कर
हुये बेहाल हम अक्सर

गया है टूट दिल अपना
तेरे सपनो में यूं आकर

कहां मिलते हमें गुन्चे
लिखे किस्मत में थे पत्थर

रहा बस में दिल अपने
तुझे सामने यूं पाकर

बहुत पछताये थे श्याम
हमें वो अपने घर लाकर

मफ़ाएलुन मफ़ाएलुन













मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

7 comments:

  1. दिल की सलामती के लिए दुआ है ....

    दाद कबूल करें .....:))

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  2. हाले दिल आपने जिस खूबसूरती से बयाँ किया है
    इस पर कुछ भी कहना मुश्किल है.

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  3. कहां मिलते हमें गुन्चे
    लिखे किस्मत में थे पत्थर
    बढिया प्रयोग डॉक्टर साहब!

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  4. वाह श्यामजी वाह !

    ख़ूबसूरत अन्दाज़ .......शानदार शे'र

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  5. shukhriya jindgi....aapke gazlo ki kitab mene hal hi me manvai hai, mil bhi gai hai......kya gazle hai ...waaaaaaaah

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