Thursday, March 29, 2012

कोई काम आया कब मुसीबत में

 
A-59
ज़ख्म था ज़ख्म का निशान भी था
दर्द  का अपना इक मकान  भी   था

दोस्त  था और    मेहरबान  भी  था
ले रहा      मेरा  इम्तिहान   भी  था

शेयरों    में   गज़ब  उफान   भी था
कर्ज़  में    डूबता      किसान भी था

आस     थी जीने की अभी    बाकी
रास्ते  में मगर    मसान भी था

कोई काम आया  कब  मुसीबत में
कहने को अपना खानदान भी था

मर के दोज़ख मिला तो समझे हम
वाकई   दूसरा      जहान     भी था

उम्र भर साथ  था  निभाना जिन्हें
फासिला उनके   दरमियान भी था

खुदकुशीश्यामकर ली क्यों तूने
तेरी किस्मत में   आसमान भी था
फ़ाइलातुन,मफ़ाइलुन ,फ़ेलुन

मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

11 comments:

  1. बहुत अच्‍छी कहन है गुरू...बधाई ।

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  2. वाह...वाह...वाह......

    इक इक शेर नगीने सा.....:))

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  3. मर के दोज़ख मिला तो समझे हम
    वाकई दूसरा जहान भी था
    वाह साहब वाह।
    एक शेर लीजिये:
    पेश कुछ न हुआ अदालत में
    मैं खड़ा था, मेरा बयान भी था।

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  4. वाह!! क्या बात है!!१

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  5. मित्रो
    मेरी गज़लों को आप सभी का भरपूर स्नेह मिलता है इसकेलिये मैं आप सब का ह‌‍दय से आभारी हूं
    मैने कहीं पढ़ा था कि नमक और संकोच थोड़ा ही ठीक रहता हूं
    मेरी गज़लो को पसन्द क रने वाले व व ब्लाग पर रेगुलर आने वाले कुछ मित्रों के बारे में नीचे लिखे सबूत हैं पर वे संकोच से टिप्पणी नहीं देते। आप आते हैं इस हेतु शुक्रिया लेकिन अबीर- गुलाल से नवाजें तो और अच्छा लगेगा
    आपका सदा सा
    श्याम सखा श्याम
    17:52:37 -- 2 hours 27 mins ago
    [Canada]
    Ajax, Ontario arrived on "ग़ज़ल के बहाने-gazal k bahane: कोई काम आया कब मुसीबत में".
    2
    Jodhpur, Rajasthan arrived on "ग़ज़ल के बहाने-gazal k bahane: कोई काम आया कब मुसीबत में"
    3
    20:10:39 -- 5 days ago
    [India]
    Vadodara, Gujarat arrived on "ग़ज़ल के बहाने-gazal k bahane".
    4
    Mountain View, California arrived from google.com on "ग़ज़ल के बहाने-gazal k bahane: हो गई फ़िर इक खता है- गज़ल".
    5
    10:58:27 -- 9 hours 25 mins ago
    [United States]
    Council Bluffs, Iowa arrived on "ग़ज़ल के बहाने-gazal k bahane: कोई काम आया कब मुसीबत में".

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  6. खुदकुशी ‘श्याम’कर ली क्यों तूने
    तेरी किस्मत में आसमान भी था
    .......... क्या बात है श्याम जी बहुत खूब

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  7. आदरणीय श्याम जी
    क्या बढ़िया ग़ज़ल लिखी है..... सारे शेर नगीने हैं..... !
    पर यह शेर लाजवाब और पुरनूर है_____

    शेयरों में गज़ब उफान भी था
    कर्ज़ में डूबता किसान भी था
    क्या सच्चा शेर कहा है..... वाह वाह !!!!

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  8. bahut badiya gazal kahi hai bhai sahab....pranaam...

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  9. ati sunder...bahut achhi gajal hai..!!

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