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खारा है सागर सचमुच खारा है
नदिया ने फ़िर भी सब कुछ वारा है
सातों के सातों सुर हैं उसकी मुठ्ठी में
कहने को वो बेचारा इक तारा है
जीत सदा सच की होती कहने भर को
सच बेचारा द्वापर में भी हारा है
बेशक यह सुन्दर और गठीली भी है
देह मगर कहते सांसो की कारा है
यह तो कोई बात नहीं है श्याम नई
जिसको भी मारा अपनो ने मारा है
फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ा
मेरा एक और ब्लॉग
http://katha-kavita.blogspot.com/
खारा है सागर सचमुच खारा है
ReplyDeleteनदिया ने फ़िर भी सब कुछ हारा है
nice
बहुत सुन्दर!!
ReplyDeletewaah.... har sher umda aur har sher me ek darshan....
ReplyDeleteshukriya
यह तो कोई बात नहीं है श्याम नई
ReplyDeleteजिसको भी मारा अपनो ने मारा है
बहुत सुंदर लिखा आप ने धन्यवाद
खारा है सागर सचमुच खारा है
ReplyDeleteनदिया ने फ़िर भी सब कुछ वारा है-ye aik talkh haqiqat hai syamji jise aapne rekhankit kiya hai.
ग़ज़ब सर जी ... कमाल के शेर हैं ...
ReplyDeletebahut pyaari gazal..
ReplyDeleteजिसको भी मारा अपनो ने मारा है
ReplyDeleteWaah :)
वाह ...बहुत बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब ...बेहतरीन !!!
बहुत सुन्दर गजल है।बधाई।
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