Thursday, September 9, 2010

सबको खूब खला था वो- गज़ल

सबको खूब खला था वो
मानुष एक भला था वो

काटा जितनी बार गया
उतनी बार फला था वो

रीझ गई वृषभानुलली
आखिर नन्दलला था वो

जिसने जैसा ढाला था
वैसा ठीक ढ़्ला था वो

मन्जिल खुद ही आ पहुंची
गिर-गिर कर संभला था वो

सबके गम लेकर भागा
कह्ते सब पगला था वो

याद करे है अब भी ‘श्याम’
यू इक बार मिला था वो

 71/d b gm
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

11 comments:

  1. बेहतरीन ग़ज़ल| किस शेर की तारीफ की जाय समझ में नही आ रहा है..हर शेर आपकी उस्तादी को बखूबी बयाँ कर रहे है| दाद कबूलिये|
    बहुत बहुत शुक्रिया इस खूबसूरत ग़ज़ल को पढवाने के लिए|
    ब्रह्माण्ड

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  2. सबके गम लेकर भागा
    कह्ते सब पगला था वो
    लाजबाब .....

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  3. ख़ला में घूमता भला लगा था वो :)

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  4. Too Good... Great !!!!

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  5. भला था , इसीलिए याद आता है वो ।
    बढ़िया रचना ।

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  6. मेरा दिल कहता है-
    टिपण्णी से परे खूबसूरत ग़ज़ल के लिए धन्यवाद्

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  7. श्याम भाई
    क्या शेर निकाला है....शेर क्या कलेजा निकाल कर रख दिया मोहतरम.... दाद क़ुबूल फरमाएं
    काटा जितनी बार गया
    उतनी बार फला था वो
    जितनी बार पढता हूँ उतने बार फिर पढने का जी चाहता है...वाह वाह...!

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  8. काटा जितनी बार गया
    उतनी बार फला था वो
    bahut payara sher huaa hai. badhaee

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  9. सबके गम लेकर भागा
    कह्ते सब पगला था वो
    दूसरों का गम लेने वाले पागल माने जाते.....
    सचमुच मान को छूने वाली रचना

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  10. सबके गम लेकर भागा
    कह्ते सब पगला था वो

    bahut hi accha sher hai ghazal ka..Soch ki gahraai rang layi hai

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