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आज कुछ नर्म-सी बातें कर लें
बैठ तो मर्म की बातें कर लें
हो चले ठण्डे सभी रिश्ते तो
आओ कुछ गर्म-सी बातें कर लें
ज्ञान की खुल ही न जाये कलई
आओ कुछ धर्म की बातें कर लें
कुछ न करने से तो जाये है हुनर
मुफ़्त ही कर्म की बातें कर लें
है न कोई कि जो फ़ेंके पत्थर
चुपके-से शर्म की बातें कर लें
फ़ाइलातुन फ़इलातुन,फ़ेलुन ४.४.९२ गोहाना ५ पी एम
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
कुछ न करने से तो जाये है हुनर
ReplyDeleteमुफ़्त ही कर्म की बातें कर लें
bahut badhiya prastuti...
ज्ञान की खुल ही न जाये कलई
ReplyDeleteआओ कुछ धर्म की बातें कर लें...
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! शानदार ग़ज़ल!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://www.seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
आज कुछ नर्म-सी बातें कर लें
ReplyDeleteबैठ तो मर्म की बातें कर लें
-बहुत सही...तभी बात आगे बढ़ेगी. :)
बेहतरीन गज़ल!!!
छोटी बहर है, और दो शेर निकालिये कम से कम!!! :)
खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteसारगर्भित गजल बधाई स्वीकारिए। आपकी रचना पढ़ कर लखनऊ में मुलाकात की याद ताजी हो गई।
ReplyDeleteहो चले ठण्डे सभी रिश्ते तो
ReplyDeleteआओ कुछ गर्म-सी बातें कर चाहिए, बाक़ी बातें भी हो जाएंगी।
ग़ज़ल को साझा करने का का बहुत बहुत शुक्रिया. पूरी ग़ज़ल बेहतरीन है. कथ्य के हिसाब से एकदम दुरुस्त...!! ये दो शेर मुझे बहुत अच्छे लगे.
ReplyDeleteआज कुछ नर्म-सी बातें कर लें
बैठ तो मर्म की बातें कर लें
हो चले ठण्डे सभी रिश्ते तो
आओ कुछ गर्म-सी बातें कर लें
छोटी बह्र में सुन्दर ग़ज़ल ।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteएक अति सुंदर ओर लाजवाब प्रस्तुति!!
ReplyDeleteदुनिया है फ़ानी, भ्रम की बातें कर लें :)
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