Friday, June 22, 2012

कोई पागल ही बनाएगा यहाँ घर दोस्तो-gazal by Dr shyam skha shyam

 
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भीड़ का मेला अकेला आदमी हर दोस्तो
कोई पागल ही बनाएगा यहाँ घर दोस्तो

चिमनियों का हर तरफ फ़ैला धुआं है देखिये
कौन इशारे मौसमी समझे यहाँ पर दोस्तो

पंछियों को था बिजूकों से डराता आदमी
खुद से ही अब तो उसे लगने लगा डर दोस्तो

ईंट पर बुनियाद की हम शे अब कैसे कहें
जब फ़्लैट अपना है मंजिल सातवीं पर दोस्तो

श्यामसे जब भी हो मिलना आपको श्यामजी
कीजिये बातें हवा से खोलकर पर दोस्तो

फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन





मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

5 comments:

  1. पंछियों को था बिजूकों से डराता आदमी
    खुद से ही अब तो उसे लगने लगा डर दोस्तो

    श्याम जी बहुत बधाई दमदार गजल के लिए.

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  2. ईंट पर बुनियाद की हम शे‘र अब कैसे कहें
    जब फ़्लैट अपना है मंजिल सातवीं पर दोस्तो

    kya baat hai...bhaisaab
    s-pranaam

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  3. बहुत ही दमदार गज़ल हैँ

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