* * * * *दिल कितना घायल होगा
आज नहीं तो कल होगा
हर मुश्किल का हल होगा
जंगल गर औझल होगा
नभ भी बिन बादल होगा
नभ गर बिन बाद्ल होगा
दोस्त कहां फ़िर जल होगा
आज बहुत रोया है दिल
भीग गया काजल होगा
आँगन बीच अकेला है
बूढ़ा सा पीपल होगा
दर्द भरे हैं अफ़साने
दिल कितना घायल होगा
छोड़ सभी जब जाएंगे
‘तेरा’ ही संबल होगा
प्यार नहीं जाहिर करना
यह तो खुद से छल होगा
रोज कलह होती घर में
रिश्तों मे दल-दल होगा
पीर सभी की सुनता है
‘श्याम सखा’पागल होगा
वज्न=फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा
आँगन बीच अकेला है
ReplyDeleteबूढ़ा सा पीपल होगा
WAH!!
बहुत सुन्दर रचना है।
ReplyDeleteआज बहुत रोया है दिल
ReplyDeleteभीग गया काजल होगा
बहुत सुंदर .
Waah !! Waah !! Waah !!
ReplyDeletebahut sundar rachna...aanand aa gaya padhkar...aabhaar .
bahut sundar gajal
ReplyDeletevenus kesari
बहुत सुंदर गजल ... बधाई।
ReplyDeleteNice !
ReplyDeleteजंगल गर औझल होगा
नभ भी बिन बादल होगा
नभ गर बिन बाद्ल होगा
दोस्त कहां फ़िर जल होगा
(I liked repetition of the misra here!)
आँगन बीच अकेला है
बूढ़ा सा पीपल होगा
छोड़ सभी जब जाएंगे
‘तेरा’ ही संबल होगा
क्या सच में श्याम जी ...दूसरों की पीर सुननें और महसूस करनें वाले पागल होते हैं ...?
ReplyDeleteबढ़िया गज़ल सर....
ReplyDeleteग़ज़ल बहुत अच्छी लगी। सभी अशा'र और गिरह का मिस्रा भी ख़ूब है। मक़ता भी पसंद आया।
ReplyDeleteएक ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए धन्यवाद और बधाई।
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए धन्यवाद और बधाई।
ReplyDeleteमैं ये तो नहीं कहूँगा कि ग़ज़ल पढ़ते - पढ़ते
आज बहुत रोया है दिल
भीग गया काजल होगा
बल्कि कहना होगा
आज बहुत मुस्काया दिल
टिपियाना बहुत प्रबल होगा
आभार के साथ
चन्द्र मोहन गुप्त
प्यार नहीं जाहिर करना
ReplyDeleteयह तो खुद से छल होगा
रोक जो पायेँ खुद अपने को
वो कितना मुश्किल होगा