********करेगा तामीर प्यार का तू मकान कब तक ?
रहेंगे हम, घर में अपने ही मेहमान कब तक
रखेंगे यूं बन्द ,लोग अपनी जुबान कब तक
फ़रेब छल,झूठ आप रखिये सँभाल साहिब
भरोसे सच के भला चलेगी दुकान कब तक
चलीं हैं कैसी ये नफ़रतों की हवायें यारो
बचे रहेंगे ये प्यार के यूं मचान कब तक
हैं कर्ज सारे जहान का लेके बैठे हाकिम
चुकाएगा होरी,यार इनका लगान कब तक
इमारतों पर इमारतें तो बनायी तूने
करेगा तामीर प्यार का तू मकान कब तक
रही है आ विश्व-भ्रर से कितनी यहां पे पूंजी
मगर रहेंगे लुटे-पिटे हम किसान कब तक
रहेगा इन्साफ कब तलक ऐसे पंगु बन कर
गवाह बदलेंगे आखिर अपना बयान कब तक
दुकान खोले कफ़न की बैठा है 'श्याम' तो अब
भला रखेगा 'वो' बन्द अपने मसान कब तक
मफ़ाइलुन फ़ा,मफ़ाइलुन फ़ा,मफ़ाइलुन फ़ा
फ़रेब छल,झूठ आप रखिये सँभाल साहिब
ReplyDeleteभरोसे सच के भला चलेगी दुकान कब तक
wah, umda rachna.
अच्छी ग़ज़ल श्याम साब और ये शेर तो विशेष कर बहुत पसंद आया है "हैं कर्ज सारे जहान का लेके बैठे हाकिम/चुकाएगा होरी,यार इनका लगान कब तक"
ReplyDeleteवाह !!!
वाह वाह श्याम जी क्या गजल कही आपने दिल खुश हो गया
ReplyDeleteवीनस केसरी
फ़रेब छल,झूठ आप रखिये सँभाल साहिब
ReplyDeleteभरोसे सच के भला चलेगी दुकान कब तक.....
क्या बात है -बहुत खूब .
SHYAMJEE '
ReplyDeleteMAN GAYE AAPKEE TARJE BAYANEE KO.
GAVAH BADLENGE AAKHIR APNA BAYAN KAB TAK .
KYA BAAT HAI !
बहुत बढिया ...
ReplyDeleteश्याम जी नमस्कार,
ReplyDeleteअच्छे अश'आर कहे है आपने खासकर ये इस शे'र को बखूबी निभाया है आपने..
इमारतों पर इमारतें तो बनायी तूने
करेगा तामीर प्यार का तू मकान कब तक
बहोत खूब बहोत बधाई ..
अर्श
shyam ji namaskaar..
ReplyDeleteBahut hi badhiya...har sher bahut achha hai..
Very nice reading it..
फ़रेब छल,झूठ आप रखिये सँभाल साहिब
भरोसे सच के भला चलेगी दुकान कब तक.
Mujhe maktaa sabse zyada pasand aaya ..
ReplyDeleteबेहतरीन रचना .
ReplyDeleteइमारतों पर इमारतें तो बनायी तूने
करेगा तामीर प्यार का तू मकान कब तक
AAJ PAHLEE BAAR MAIN AAPKE BLOG PAR AAYAA HOON.
ReplyDeleteAAPKEE GAZAL PADH KAR DIL KHUSH HO GAYAA HAI.
SABHEE ASHAAR ACHCHHE HAIN.BAHAR KHOOBEE SE
NIBHAAYEE HAI AAPNE.BADHAAEE.
क्या बात है श्याम जी। मज़ा आ गया। सच में रूह ख़ुश हो गई। पहली बार आया हूं, चाहता हूं कि आप रोज़ बुलाएं।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
सभी शेर एक से बढ़ कर एक. किस-किस की तारीफ करुँ, अन्याय हो जायेगा...................
ReplyDeleteबधाई स्वीकार करें
चन्द्र मओहन गुप्त