Thursday, April 9, 2009

गवाह बदलेंगे आखिर अपना बयान कब तक

********करेगा तामीर प्यार का तू मकान कब तक ?

रहेंगे हम, घर में अपने ही मेहमान कब तक
रखेंगे यूं बन्द ,लोग अपनी जुबान कब तक

फ़रेब छल,झूठ आप रखिये सँभाल साहिब
भरोसे सच के भला चलेगी दुकान कब तक

चलीं हैं कैसी ये नफ़रतों की हवायें यारो
बचे रहेंगे ये प्यार के यूं मचान कब तक

हैं कर्ज सारे जहान का लेके बैठे हाकिम
चुकाएगा होरी,यार इनका लगान कब तक

इमारतों पर इमारतें तो बनायी तूने
करेगा तामीर प्यार का तू मकान कब तक

रही है आ विश्व-भ्रर से कितनी यहां पे पूंजी
मगर रहेंगे लुटे-पिटे हम किसान कब तक

रहेगा इन्साफ कब तलक ऐसे पंगु बन कर
गवाह बदलेंगे आखिर अपना बयान कब तक

दुकान खोले कफ़न की बैठा है 'श्याम' तो अब
भला रखेगा 'वो' बन्द अपने मसान कब तक


मफ़ाइलुन फ़ा,मफ़ाइलुन फ़ा,मफ़ाइलुन फ़ा

13 comments:

  1. फ़रेब छल,झूठ आप रखिये सँभाल साहिब
    भरोसे सच के भला चलेगी दुकान कब तक

    wah, umda rachna.

    ReplyDelete
  2. अच्छी ग़ज़ल श्याम साब और ये शेर तो विशेष कर बहुत पसंद आया है "हैं कर्ज सारे जहान का लेके बैठे हाकिम/चुकाएगा होरी,यार इनका लगान कब तक"

    वाह !!!

    ReplyDelete
  3. वाह वाह श्याम जी क्या गजल कही आपने दिल खुश हो गया

    वीनस केसरी

    ReplyDelete
  4. फ़रेब छल,झूठ आप रखिये सँभाल साहिब
    भरोसे सच के भला चलेगी दुकान कब तक.....
    क्या बात है -बहुत खूब .

    ReplyDelete
  5. SHYAMJEE '

    MAN GAYE AAPKEE TARJE BAYANEE KO.

    GAVAH BADLENGE AAKHIR APNA BAYAN KAB TAK .

    KYA BAAT HAI !

    ReplyDelete
  6. श्याम जी नमस्कार,
    अच्छे अश'आर कहे है आपने खासकर ये इस शे'र को बखूबी निभाया है आपने..
    इमारतों पर इमारतें तो बनायी तूने
    करेगा तामीर प्यार का तू मकान कब तक

    बहोत खूब बहोत बधाई ..

    अर्श

    ReplyDelete
  7. shyam ji namaskaar..

    Bahut hi badhiya...har sher bahut achha hai..
    Very nice reading it..

    फ़रेब छल,झूठ आप रखिये सँभाल साहिब
    भरोसे सच के भला चलेगी दुकान कब तक.

    ReplyDelete
  8. Mujhe maktaa sabse zyada pasand aaya ..

    ReplyDelete
  9. बेहतरीन रचना .


    इमारतों पर इमारतें तो बनायी तूने
    करेगा तामीर प्यार का तू मकान कब तक

    ReplyDelete
  10. AAJ PAHLEE BAAR MAIN AAPKE BLOG PAR AAYAA HOON.
    AAPKEE GAZAL PADH KAR DIL KHUSH HO GAYAA HAI.
    SABHEE ASHAAR ACHCHHE HAIN.BAHAR KHOOBEE SE
    NIBHAAYEE HAI AAPNE.BADHAAEE.

    ReplyDelete
  11. क्या बात है श्याम जी। मज़ा आ गया। सच में रूह ख़ुश हो गई। पहली बार आया हूं, चाहता हूं कि आप रोज़ बुलाएं।
    बहुत बढ़िया।

    ReplyDelete
  12. सभी शेर एक से बढ़ कर एक. किस-किस की तारीफ करुँ, अन्याय हो जायेगा...................

    बधाई स्वीकार करें

    चन्द्र मओहन गुप्त

    ReplyDelete