तू आर हो जा या पार हो जा
पर इक तरफ मेरे यार हो जा
या तो सिमट कर रह मेरे दिल में
या फैल इतना, संसार हो जा
जो जुल्म बढ़ जाये हद से ज्यादा
तजकर अहिंसा हथियार हो जा
गुल था शरारत करने लगा जब
तितली ने कोसा जा खार हो जा
सूखा है मौसम, सूखी हूँ मै भी
अब प्यार की तू रसधार हो जा
गर थी तुझे धन की कामना तो
किसने कहा था फनकार हो जा
राधा भी तेरी, मीरा भी तेरी
तू ‘श्याम’ मेरा इस बार हो जा
मुस्तफ़इलुन फ़ा ,मु्स्तफ़इलुन फ़ा
या तो सिमट कर रह मेरे दिल में
ReplyDeleteया फैल इतना, संसार हो जा
--बहुत सुन्दर!! वाह!
तू आर हो जा या पार हो जा,
ReplyDeleteपर इक तरफ मेरे यार हो जाया,
तो सिमट कर रह मेरे दिल में
या फैल इतना, संसार हो जा
राधा भी तेरी, मीरा भी तेरी
तू ‘श्याम’ मेरा इस बार हो जा
Superb...touching...Aar-Parr thru my heart...
जो जुल्म बढ़ जाये हद से ज्यादा
ReplyDeleteतजकर अहिंसा हथियार हो जा ........
वाह!
गुल था शरारत करने लगा जब
ReplyDeleteतितली ने कोसा जा खार हो जा
kya khubsurati se aapne is nokjhok ko she'r ki shakl me gazal me jagah di hai kaamaal ki baat hai ye .... ye gazal puri tarah se gey gahal hai main to gungunaa rahaa hun bahot khubsurat gazal kahi hai aapne .... bahot bahot badhaayee...
arsh
सूखा है मौसम, सूखी हूँ मै भी
ReplyDeleteअब प्यार की तू रसधार हो जा,
mere liye tu bahar ho ja,
laazwab kavita...waise aap likhate hi aise hai
..badhayi ho..
aap ko padh kar hamesha hi achcha lagta hai..
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ReplyDeletekya baat hai
ReplyDeletewaah ....
har pankti men bahut hi sundar bhaav hain
badhaayi itni utkrasht rachana ke liye !!
shubh kamnayen
आज की आवाज
tera har ik lafz teer numaaya hai...
ReplyDeletedil ke aar paar hoja....dil ke aar paar ho ja..
ये तो आर-पार की लड़ाई लगती है डॊक्टर सा’ब:)
ReplyDeleteवाह बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने! मुझे तो आपकी हर एक रचना बेहद पसंद है!
ReplyDeleteया तो सिमट कर रह मेरे दिल में
ReplyDeleteया फैल इतना, संसार हो जा
कही गहरे उतर गया आपका ये शेर.......... लाजवाब ग़ज़ल......... प्रणाम
वाह वाह ...
ReplyDeleteबहुत सही बनी है ग़ज़ल
आपकी ग़ज़ल ने कुछ ऐसा हमें जताया है ....
तू धार हो जा कटार होजा
जो पढ़े जिगर के पार होजा
श्याम जी हर शेर अद्धुत है
ReplyDeleteबेहतरीन गजः
बहर भी बहुत ख़ास है
वीनस केसरी
एक अनूठी ग़ज़ल एक बेमिसाल रदीफ़ के साथ...अहा!
ReplyDeleteमक्ते ने दिल ले लिया श्याम साब! जिस खूबसूरती से आप कई बार अपना तखल्लुस इस्तेमाल करते हैं, मन बस वाह कर उठता है शायर की चपलता पर!
गर थी तुझे धन की कामना तो
ReplyDeleteकिसने कहा था फनकार हो जा
बहुत खूब श्याम जी वाह...बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने...बधाई..
नीरज
या तो सिमट कर रह मेरे दिल में
ReplyDeleteया फैल इतना, संसार हो जा
क्या बात है.
तू आर हो जा या पार हो जा
ReplyDeleteपर इक तरफ मेरे यार हो जा
इस रंग बदलती दुनिया में
इन्सान की नीयत ठीक नहीं....
क्या जाने वो कब रंग बदल दे, नीयत बदल दे...आखिर पाला बदलने का लाभ व लोभ भी तो हैं:)
बहुत बढिया !! बधाई।
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