दिल ग़म से बेहाल रहा है
हाल ये सालों-साल रहा है
मौत न जाने कैसी होगी
जीवन तो जंजाल रहा है
शक तो है मन में बैठा फिर
घर को क्यों खंगाल रहा है
वक्त का कैसे करूँ भरोसा
चलता टेढ़ी चाल रहा है
हैं उस पर भी गम के साये
जो अब तक खुशहाल रहा है
क्या दिखलाऊँ दिल की दौलत
ग़म से माला -माल रहा है
दूर-दूर ही रहे अँधेरे
जब तक सूरज लाल रहा है
मौत न जाने कैसी होगी
ReplyDeleteजीवन तो जंजाल रहा है...
bahut khoob.
बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल है
ReplyDelete---
प्रेम अंधा होता है - वैज्ञानिक शोध
ek ek panktiyan nagine hai.......atisundar
ReplyDeleteशक तो है मन में बैठा फिर
ReplyDeleteघर को क्यों खंगाल रहा है
kya baat hai!
शक तो है मन में बैठा फिर
ReplyDeleteघर को क्यों खंगाल रहा है
Sach aur bas sach likha hai....... shak to man mein baithaa rahta hai aur gkar khali ho jaata hai
badhiya..bahut badhiya kavita..
ReplyDeleteहैं उस पर भी गम के साये
जो अब तक खुशहाल रहा है
badhayi ho!!!
हैं उस पर भी गम के साये
ReplyDeleteजो अब तक खुशहाल रहा है
=====
य़थार्थ -- सुन्दर --- बेहतरीन
मौत न जाने कैसी होगी
ReplyDeleteजीवन तो जंजाल रहा है
लाजवाब श्याम जी जी वाह...पूरी ग़ज़ल ही आपके खास रंग में रंगी हुई है...बेहद खूबसूरत शेर कहे हैं आपने...वाह...
नीरज
मौत न जाने कैसी होगी
ReplyDeleteजीवन तो जंजाल रहा है
bahut hee sundar....
मौत न जाने कैसी होगी
ReplyDeleteजीवन तो जंजाल रहा है
बहुत खूबसूरत गजल
वीनस केसरी
आप सभी का आभार
ReplyDeleteश्याम सखा श्याम
शक तो है मन में बैठा फिर
ReplyDeleteघर को क्यों खंगाल रहा है
sabhi sher ek se badh ek,
bahut bahut bahut umda shayari..
aapne dil khol kar likha aur hamne dil khol kar iska lutf uthaya..
jawaab nahi aapka..
behtaree..
main ruk nahi paa rahi hun aur bhi bahut kuch kehna chah rahi hun, bahut hi acchhi lagi aapki gazal..
laajawab...
badhai hi badhai
शक तो है मन में बैठा फिर
ReplyDeleteघर को क्यों खंगाल रहा है
खूबसूरत गज़ल के लिये बधाई
lajawab.
ReplyDeleteखूबसूरत गज़ल . बधाई
ReplyDeleteश्याम साब की लेखनी का एक और कमाल..वाह!
ReplyDeleteवक्त का कैसे करूँ भरोसा
ReplyDeleteचलता टेढ़ी चाल रहा है
बहुत सही कहा ,उम्दा .
मौत न जाने कैसी होगी
ReplyDeleteजीवन तो जंजाल रहा है...
यही सत्य है
राम नाम सत्य है.
सुन्दर ग़ज़ल पर हार्दिक आभार.
चन्द्र मोहन गुप्त
बधाई आप को ~~
ReplyDeleteइसी तरह सह्र्दयता से लिखते रहेँ
ताकि एक बडा पाठक वर्ग
हिन्दी ब्लोग के जरीये
उम्दा साहित्य पढता रहे
( अब ब्लोग साहित्य है या नहीँ
उस बात पर,
विद्वानोँ की चर्चा तो होती रहेगी :)
खूबसूरत गजल "जीवन तो जंजाल है"
ReplyDeleteगहरे भाव