Monday, February 1, 2010

चुप भी तो रह पाना मुश्किल-gazal-








अपनों को समझाना मुश्किल
चुप भी तो रह पाना मुश्किल

खोना मुश्किल पाना मुश्किल
खाली मन बहलाना मुश्किल

मौन रहें, तो बात बने कब
कहकर भी सुख पाना मुश्किल

बैरी सावन बरसे रिमझिम
रातों का कट पाना मुश्किल

सुलझों को उलझाना आसां
उलझों को सुलझाना मुश्किल





dbgm-3
 मेरा एक और ब्लॉग
http://katha-kavita.blogspot.com/

17 comments:

  1. मौन रहें, तो बात बने कब
    कहकर भी सुख पाना मुश्किल

    -बहुत सही!

    ReplyDelete
  2. आज के समय में चुप्प रहना भी नही चाहिए!!!बहुत ही अच्छी रचना...

    ReplyDelete
  3. अपनों को समझाना मुश्किल
    चुप भी तो रह पाना मुश्किल
    -बहुत सही.......

    ReplyDelete
  4. अपनों को समझाना मुश्किल
    चुप भी तो रह पाना मुश्किल

    सुलझों को उलझाना आसां
    उलझों को सुलझाना मुश्किल

    - मुश्किल है. अच्छा लगा.

    ReplyDelete
  5. बैरी सावन बरसे रिमझिम
    रातों का कट पाना मुश्किल

    जबरदस्त, बहुत खूब

    ReplyDelete
  6. बैरी सावन बरसे रिमझिम
    रातों का कट पाना मुश्किल ..

    सच है ...... बहुत लाजवाब शेर है ..... वह ... वाह .....

    ReplyDelete
  7. मौन रहें, तो बात बने कब
    कहकर भी सुख पाना मुश्किल

    wah shyam ji , sabhi uttam.

    ReplyDelete
  8. सुलझों को उलझाना आसां
    उलझों को सुलझाना मुश्किल

    बहुत सही कहा है । सुन्दर।

    ReplyDelete
  9. सुलझो को उलझाना मुश्किल
    उलझो को सुलझाना मुश्किल

    सच है
    क्योंकि

    उलझन में उलझे बिना उलझन कहाँ सुलझती है

    बहुत सुन्दर गज़ल

    ReplyDelete
  10. अपनों को समझाना मुश्किल
    चुप भी तो रह पाना मुश्किल

    सुलझों को उलझाना आसां
    उलझों को सुलझाना मुश्किल


    वाह श्याम जी वाह...मतले से मकते तक बेहतरीन ग़ज़ल...दाद कबूल हो.
    नीरज

    ReplyDelete
  11. हमें नहीं पता ये कि‍ फउलुन माफउलुन फाउलुतुन जैसे कि‍सी स्‍केल पर सही उतरती है या नहीं पर इस गजल की गेयता, बहाव और अर्थ सब मजेदार हैं, हमें ऐसा ही लि‍ख पाने में मजा आता है।
    सुलझों को उलझाना आसां

    उलझों को सुलझाना मुश्‍ि‍कल
    ये शेर तो खास अर्थ वाला है

    ReplyDelete
  12. मुश्‍ि‍कलों को बहुत आसानी से समझाने के लि‍ये पुनश्‍च धन्‍यवाद।

    ReplyDelete
  13. Waah....kya baat hai....

    Shabdon ki jadugari se sadharan baat ko asadharan bana diya aapne...

    Sundar gazal...

    ReplyDelete
  14. मौन रहें, तो बात बने कब
    कहकर भी सुख पाना मुश्किल
    क्या बात है. सुन्दर सारगर्भित गज़ल.

    ReplyDelete