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जिन्दगी से इक दुआ मांगी थी
मौत कब हमने भला मांगी थी
मौत से हमने दया मांगी थी
याने हाकिम से सजा मांगी थी
रूठ क्यों हमसे गई तू ऐ हवा
चुलबुली-सी इक अदा मांगी थी
है नया अन्दाज दिलबर तेरा
बेवफाई दी वफा मांगी थी
खिड़कियाँ सब खोल दीं उसने तो
रोशनी कुछ, कुछ हवा मांगी थी
बख्श दी क्यों मौत ही ऐ मौला
हमने तो तुमसे दवा मांगी थी
क्यों गिला तुमसे करें ‘श्याम’ न हम
क्यों घुटन दे दी हवा मांगी थी
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन, फ़ेलुन
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल ! खास कर ये शेर पसंद आया ...
ReplyDeleteमौत से हमने दया मांगी थी
याने हाकिम से सजा मांगी थी
आपको और आपके परिवार को नया साल की हार्दिक शुभकामनायें !
है नया अन्दाज दिलबर तेरा
ReplyDeleteबेवफाई दी वफा मांगी थी
aapko wafa jald mile.
बढ़िया गजल!! बधाई।
ReplyDeleteनव वर्ष की बधाई।
ReplyDeleteआनंद आ गया।
बहुत उम्दा गज़ल .श्याम जी !
ReplyDeleteआपको नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं
वाह...
ReplyDeleteखूबसूरत ग़ज़ल !!!!
मौत से हमने दया मांगी थी
ReplyDeleteयाने हाकिम से सजा मांगी थी
अब डॊक्टर भी यह दुआ मांगे तो मरीज़...? :)
आनंद आ गया,वाह.....
ReplyDeleteवाह जी बहुत खुब धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल है ...आभार
ReplyDelete(अगर आपकी पोस्ट का फॉण्ट फेस (टाईप) चेंज कर लेंगे तो शब्द भी उतने ही खुबसूरत लगेंगे जितने सुन्दर आपने भाव संजोए है )
हर पल यही है दिल की दुआ आपके लिए
खुशियों भरा हो साल नया आपके लिए
महकी हुई उमंग भरी हो हर इक सुबह
चाहत के गुल से पथ हो सजा आपके लिए