Tuesday, January 4, 2011

सादगी को कौन पूछे है यहाँ अब-gazal

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जिन्दगी है जब मियाँ तो गम भी होंगे
आज ज्यादा हैं तो कल ये कम भी होंगे

इन्तजार अब तो कयामत का हमें है
मौला होगा, तुम भी होंगे, हम भी होंगे

जिन्दगी होगी सुहानें गीत होंगे
आ गई गर मौत तो मातम भी होंगे

मेरे नग्मो में घुले- हैं रंजो-ग़म वो
सुनके जिनको नयन सबके नम भी होंगे

सादगी को कौन पूछे है यहाँ अब
गेसुओं में उसके पेचो-खम भी होंगे

है रकीबों का बसेरा गर यहाँ पर
साथ उनके  तो मेरे हमदम भी होंगे

हो गया चिथड़े सभी के साथ वो भी
बाँधे उसने तन पे अपने बम भी होंगे


फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन


मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

9 comments:

  1. है रकीबों का बसेरा गर यहाँ पर
    इर्द-गिर्द उनके मेरे हमदम भी होंगे
    vaah.

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  2. जिन्दगी है जब मियाँ तो गम भी होंगे
    आज ज्यादा हैं तो कल ये कम भी होंगे

    बस इसी सोच से जीने का सबल मिलता है ।

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  3. बूढी आंखे अच्छा पढ सकेंगी
    जब फांट कुछ बडे भी होंगे :)

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  4. जिन्दगी होगी सुहानें गीत होंगे
    मौला होगा,तुम भी होंगे,हम भी होंगे---

    ---क्या बात है सुन्दर गज़ल...

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  5. बहुत सुन्दर ग़ज़ल है श्याम जी, हर शेर काबीले तारीफ़ है ... किसी शेर को अलग से चुनना मुश्किल है क्यूंकि हर शेर लाजवाब है ...

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  6. जिन्दगी होगी सुहानें गीत होंगे
    आ गई गर मौत तो मातम भी होंगे

    बहुत सुन्दर गज़ल है. जिन्दगी से रूबरू

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  7. बहुत उम्दा ..वाह!

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  8. बहुत सही कहा...
    जीवन है तो सुख दुःख तो धुप छाँव की माफिक आते जाते ही रहेंगे...कभी कम तो कभी ज्यादा...
    सुन्दर ग़ज़ल..वाह !!!

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