हम जैसों से यारी मत कर
ख़ुद से यह गद्दारी मत कर
तेरे अपने भी रहते हैं
इस घर पर बमबारी मत कर
रोक छ्लकती इन आँखों को
मीठी यादें ख़ारी मत कर
हुक्म-उदूली का ख़तरा है
फ़रमाँ कोई जारी मत कर
आना-जाना साथ लगा है
मन अपना तू भारी मत कर
ख़ुद आकर ले जाएगा वो
जाने की तैयारी मत कर
सच कहने की ठानी है तो
कविता को दरबारी मत कर
‘श्याम’निभानी है गर यारी
तो फिर दुनियादारी मत कर
फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन
BEST LINE:
ReplyDeleteरोक छ्लकती इन आँखों को
मीठी यादें ख़ारी मत कर
&
हुक्म-उदूली का ख़तरा है
फ़रमाँ कोई जारी मत कर
(THANKS FOR SHARING SUCH A NICE 'NAZM')
now this ghazal prompts me to read the entire blog of yours.....
ReplyDeletelemme do that....
आदरणीय श्याम जी ,
ReplyDeleteहर एक शेर मैं जैसे जिदगी की कहानी लिखी है आपनें ..
रोक छ्लकती इन आँखों को
मीठी यादें ख़ारी मत कर
और
हुक्म-उदूली का ख़तरा है
फ़रमाँ कोई जारी मत कर
क्या जज्बा है ....
सच कहने की ठानी है तो
कविता को दरबारी मत कर
.हमें गर्व है आप पर और आपकी लेखनीं पर