Friday, March 6, 2009

***उसकी किस्मत किसने लिक्खी ?

****उसकी किस्मत किसने लिक्खी ?

वो तो जब भी खत लिखता है
उल्फ़त ही उल्फ़त लिखता है

मौसम फूलों के दामन पर
ख़ुशबू वाले ख़त लिखता है

है कैसा दस्तूर शहर का
हर कोई नफ़रत लिखता है

बादल का ख़त पढ़कर देखो
छप्पर की आफ़त लिखता है

अख़बारों से है डर लगता
हर पन्ना दहशत लिखता है

यार मुहब्बत का हर किस्सा
अश्कों की उजरत लिखता है

रास नहीं आता आईना
वो सबकी फ़ितरत लिखता है

मन हरदम अपनी तख़्ती पर
मिलने की हसरत लिखता है

उसकी किस्मत किसने लिक्खी
जो सबकी क़िस्मत लिखता है

”श्याम’अपने हर अफ़साने में
बस, उसकी बाबत लिखता है

फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन

श्याम’अपने हर अफ़साने में
श्यामपने हर अफ़साने में,
इस प्रक्रिया को गज़ल छंद में अलिफ़-वस्ल होना या मदगम होना कहा जाता है

10 comments:

  1. waah bhai bahut khoob likhte ho ....kamaal kar diya

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  2. श्यामपने -यह भी एक नया सा प्रयोग है. :)

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  3. आदरणीय श्याम जी ,
    बहुत अच्छा सवाल पूछा आपनें

    उसकी किस्मत किसने लिक्खी
    जो सबकी क़िस्मत लिखता है
    और
    रास नहीं आता आईना
    वो सबकी फ़ितरत लिखता है
    और यह भी
    है कैसा दस्तूर शहर का
    हर कोई नफ़रत लिखता है

    आपकी ग़ज़ल जिन्दगी का आइना होती है ...
    बहुत खूब
    सादर ,
    सुजाता

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  4. aur haan mainey kahaanee pooree kar lee hai ...
    aap jaiseey anubhavee lekhak ki rai chahoongeen ..kripya jaroor batayain ..mujhe intajaar rahegaa ...

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  5. I was not aware of your blog. I am so happy to see you here! Ab aapki rachnaon ko internet per padh sakoongi, bahut khushi ki baat hai mere liye.

    God bless
    RC

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  6. Please disable "word verification" on comments.
    Thanks!

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  7. Shyam ji, please add e-mail subscription for your posts.

    I would love to subscribe.

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  8. वाह वाह श्याम जी..."बादल का ख़त पढ़कर देखो/छप्पर की आफ़त लिखता है"
    सर बहुत खूब है बहुत खूब

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  9. वाह जी वाह बहोत खूब लिखा है आपने हर शेर को.. उम्दा लेखन से परिचित हुआ आज बहोत खूब ढेरो बधाई हर शे'र के लिए ....


    अर्श

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  10. अच्छा है
    क.क.पाठक

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