Sunday, March 8, 2009

औरत ने कभी कोई धर्म ईजाद नहीं क्या क्यों भला ?

औरत को
कभी कोई धर्म ईजाद करने की जरूरत महसूस नहीं हुई।
100
औरत के बहुआयामी जीवन एवम्‌ व्यक्तित्व पर केन्द्रित एक गज़ल-
मेरा मानना है के स्त्री पृकृति की सबसे पूर्ण कृति है,पुरुष उसके सामने स्वय़ं को बौना पाता है,अधूरा महसूस करता है,इसीलिये वह कभी एट्म बम,कभी चंद्र्यान ,कभी किले,महल तो कभी नये-नये धर्म ईजाद करता दिखता है,
जबकि स्त्री शिशु को जन्म देकर, उसका पालन-पोषण कर जीवन की पूर्णता, पाकर संतुष्ट् हो जाती है इसीलिए उसे कभी कोई धर्म ईजाद करने की
जरूरत महसूस नहीं हुई।
श्याम सखा ‘श्याम’


काँच का बस एक घर है लड़कियों की जिन्दगी
और काँटों की डगर है लड़कियों की जिन्दगी

इस नई तकनीक ने तो है बना दी कोख भी
आह कब्रिस्तान भर है लड़कियों की जिन्दगी

बाप मां के बाद अधिकार है भरतार का
फर्ज का संसार भर है लड़कियों की जिन्दगी

किस धरम, किस जात में इन्साफ इसको है मिला
जीतती सब हार कर है लड़कियों की जिन्दगी

हो अहल्या या हो मीरा या हो बेशक जानकी
मात्रा चलना आग पर है लड़कियों की जिन्दगी
15
द्रोपदी हो, पद्मिनी हो, हो भले ही डायना
रोज लगती दाँव पर है लड़कियों की जिन्दगी
16
एक रजिया एक लक्ष्मी और इन्दिरा जी भला
क्या नहीं अपवाद-भर है लड़कियों की जिन्दगी

कर नुमाइश जिस्म की क्या खुद नहीं अब आ खड़ी
नग्नता के द्वार पर है लड़कियों की जिन्दगी
24
प्यार करने की खता जो कहीं करलें ये कभी
तब लटकती डाल पर है लड़कियों की जिन्दगी
25
जानती सब, बूझती सब, फिर भला क्यों बन रही
हुस्न की किरदार भर है लड़कियों की जिन्दगी
26
ठीक है आजाद होना, हो मगर उद्दण्ड तो
कब भला पायी सँवर है लड़कियों की जिन्दगी
ले रही वेतन बराबर,हक बराबर, पर नहीं
इतनी सी तकरार भर है लड़कियों की जिन्दगी
30
आदमी कब मानता इन्सान इसको है भला
काम की सौगात भर है लड़कियों की जिन्दगी
31
शोर करते हैं सभी तादाद इनकी घट रही
बन गई अनुपात भर है लड़कियों की जिन्दगी

32

ठान लें जो कर गुजरने की कहीं ये आज भी
पिफर तो मेधा पाटकर है लड़कियों की जिन्दगी
33
क्यों नहीं तैतीसवां हिस्सा भी इसको दे रहे,
आधे की हकदार गर है लड़कियों की जिन्दगी
34
देवता बसते वहाँ है पूजते नारी जहाँ
क्यों धरा पर भार भर है लड़कियों की जिन्दगी
35
हाँ, कहीं इनको मिले गर प्यारा थोड़ा दोस्तो
तब सुधा की इक लहर है लड़कियों की जिन्दगी
36
मैंने तुमने और सबने कह दिया सुन भी लिया
क्यों न फिर जाती सुधर है लड़कियों की जिन्दगी

तू अगर इसको कभी अपने बराबर मान ले
फिर तो तेरी हमसपफर है लड़कियों की जिन्दगी
37
माफ मुझको अब तू कर दें ऐ खुदा मालिक मेरे
हाँ यही किस्मत अगर है लड़कियों की जिन्दगी
38
‘कल्पना’ को ‘श्याम’ जब अवसर दिया इतिहास ने
उड़ चली आकाश पर है लड़कियों की जिेन्दगी

4 comments:

  1. आपकी ये लंबी गज़ल पहले ही काफी प्रसिद्धी पा चुकी है श्याम जी

    होली की मस्ती भरी शुभकामनायें

    ReplyDelete
  2. पहले औरत को अपने धर्म से तो मुक्ति मिले।

    ReplyDelete
  3. Bahut achha likhaa hai Shyam ji.
    kaafiyo ki to line laga di aapne. :)

    ReplyDelete
  4. आदरणीय श्याम जी ,
    ठीक है ...बहुत अच्छी नहीं होगी शायद लड़कियों की जिन्दगी ...पर जितनी मैने एक लडकी होनें के नाते देखी है .... ...हर जगह सम्मान और प्यार बेइंतहा मिला है ....
    मैने पहले भी कहा था ...बात सिर्फ नजरिये की है ....इतिहास गवाह है जितना सम्मान औरत बटोरती आयी है उतना पुरुष को आसानी से कभी नहीं मिला
    मुझे आप से बहुत उमीदें हैं ....आपके शब्दों की गहराई तारीफ़ की मोहताज नहीं है ...मुझे इंतजार है उस दिन का जब आपकी कविता समाज के नजरिये को बदल पायेगी ...आपसे बहुत छोटी हूँ पर फिर भी पता नहीं किस अधिकार से आपसे यह उम्मीद लगा बैठी हूँ ...शायद आप जैसे प्रतिभाशाली लेखक का समाज के प्रति कर्तव्य बहुत बढ़ जाता है ..सादर
    सुजाता

    ReplyDelete