Monday, April 13, 2009

अंग सभी पुखराज तुम्हारे


अंग सभी पुखराज तुम्हारे

मनमोहक अन्दाज तुम्हारे
सचमुच बेढ़्ब नाज तुम्हारे


मेरे मन के ताजमहल में
निशि-दिन गूँजें साज तुम्हारे

खजुराहो के बिम्ब सरीखे
अंग सभी पुखराज तुम्हारे

डर कर भागे चाँद सितारे
जब देखे आगाज़ तुम्हारे

अपने दिल में हमने छुपाये
पगली कितने राज़ तुम्हारे

सुनना भूले गीत-ग़ज़ल हम
सुन मीठे अल्फ़ाज तुम्हारे

कल थे हम, हां कल भी रहेंगे
जैसे हम हैं आज तुम्हारे

जब तक दिल में 'श्याम' रखो तुम
हैं तब तक सरताज तुम्हारे

10 comments:

  1. सुनना भूले गीत-ग़ज़ल हम
    सुन मीठे अल्फ़ाज तुम्हारे

    कल थे हम, हां कल भी रहेंगे
    जैसे हम हैं आज तुम्हारे

    wah shyam ji kamaal ka likha hai, behad khubsurat rachna ke liye badhai.

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  2. श्याम जी ,
    बहोत ही प्यारी ग़ज़ल सादगी से भरी हुई ... सारे शे'र खूब कहे है आपने.. बधाई स्वीकारें..

    अर्श

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  3. अपने दिल में हमने छुपाये
    पगली कितने राज़ तुम्हारे...
    bahut sundr

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  4. दिल को छूती चन्द लाइने जिनको पढ कर सुकून मिला वीनस केसरी

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  5. सर जी , हमेशा की तरह इस बार बेहतरीन गजल लगी आपकी ।

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  6. यह मेरी इसी ब्लॉग की सबसे पुरानी या पहली पोस्ट है,जिस पर आप लोगों के नजरे-इनायत नहीं हुई थी

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  7. खजुराहो के बिम्ब सरीखे
    अंग सभी पुखराज तुम्हारे

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  8. This comment has been removed by the author.

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  9. yah Ghazal main Hind Yugm per padh chuki hoon.Jahan tak mujhe yaad hai, yah shayad aapki pehli rachana hai jo maine padhi hai!! Main HY per nayi thi aur shayad koi photograph thi Khajuraho ki jis per rachanayein bhejni thi.

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  10. जी हां कुछ गज़ल मैं युग्म,कविता कोश तथा अन्य ब्लॉग पर देता हूं ,फिर कुछ समय बाद अपने ब्लॉग पर।

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