Friday, July 24, 2009

फ़ुटकर -शे‘र---4


न सुनना ही सीखा,न कहना ही आया
मुझे दिल मिला था,जुबां भी मिली थी


फ़ऊलुन,फ़ऊलुन,फ़ऊलुन,फ़ऊलुन

19 comments:

  1. kahane sunane men dil ??????

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  2. बढिया कहा आपने... मगर

    कहने को क्या है, सुनने को क्या है
    लफ़्जों का दर्द है, लफ़्जों की दवा है

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  3. वाह...सुभान अल्लाह ...
    नीरज

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  4. futkar sher ne bhi shama bhand di..
    badhiya laga...
    badhyai

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  5. मेरे लफ़्जों की बुनकरी आप दिल से कबूलते हैं तहे दिल से शुक्रिया
    अनाम जी
    गीत कानो से नहीं दिल से सुना जाता है
    श्याम सखा श्याम

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  6. शेर क्या है, मानो लोटे में समन्दर भरा है।

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  7. दिल की जगह अगर कान कर दें ( वज़न देखकर) तो एक नई बात हो जायेगी ,बाकी बढिया कहा है

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  8. Swapna Manjusha 'ada'7/25/09, 8:02 AM

    कमाल का शेर....

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  9. गलत ना सुने जो,गलत ना कहे जो,
    उसीका जुवां-दिल मिलना है वाज़िव।

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  10. लाजवाब...
    पूरी ग़ज़ल सुनने को तड़प उठे हम तो

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  11. सुभान अल्ला कितना मज़ा आ गया इस शेर में....... कमाल है

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