Monday, July 6, 2009

करते तो हैं सभी गलतियां-गज़ल


करते तो हैं सभी गलतियां-
ढूंढते बस मेरी गलतियां

सामने आएंगी एक दिन
दोस्तो, आपकी गलतियां

तल्खियां ही मुझे दे गईं
थीं बडी मतलबी गलतियां

लूटकर ले गईं चैन ही
ये मरीं दिलजली गलतियां

लडकियां जब हुई थीं जवां
तब हुई मतलबी गलतियां

खौफ़े औलाद ने दी छुडा
आपसे ’श्याम’ जी गलतियां

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कौन करता नहीं गलतियां
हर तरफ ही खड़ीं गलतियां

ये असर सजा का हुआ
रोज बढ़ती गईं गलतियां

आदमी तो था मैं काम का
आप ने ढूंढ लीं गलतियां

हर कदम,हर दिवस, उम्र भर
साथ मेरे रहीं गलतियां

नासमझ मैं नहीं जब रहा
मुझको अपनी लगीं गलतियां

खूब है आपका ये हुनर
नाम मेरे लिखीं गलतियां

भागने जब लगेश्यामजी
सामने खड़ीं गलतियां

फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फ़ाइलुन

कुछ युवा मित्रों ने गज़ल छंद सीखने की इच्छा ज़ाहिर की है मैने उन्हे लिखा था कि वे प्रारम्भिक ज्ञानश्री सतपाल खयाल के ब्लॉग आज की गजल, पर श्री प्राण शर्मा के गज़ल संबंधी लेख पढ़ लें ,फिर कोई जिज्ञासा हो तो मुजे लिखें मैं यथा अपनी सामर्थ्य कोशिश करूंगा उन्ही हेतु यह प्रयोग है आज का
आज की गज़ल हेतु ,एक ही रदीफ़ बहर की दो गज़ल पोस्ट कर रहा हूं।
जैसा आप देख लेंगे यहां एक गज़ल में काफ़िये में अनुस्वार है,दूसरी में काफ़िये
बिना अनुस्वार के हैं।इससे नव गज़लकारों को काफ़िये की इस विशेष स्थिति के बारे में पता लगेगा
यही नही दूसरी गज़ल का मक्ता यूं बेहतर दिखता
कौन करता नहीं गलतियां
हर तरफ हर कहीं गलतियां
मगर यहां काफ़िये हैं नहीं कहीं अत: गजल की तहजीब के अनुसार आगे आने वाले हर शे में काफ़िये में हीं शब्द अनिवार्य हो जाता अत: इसे बदलकर-वर्तमान रूप देना अनिवार्य हो गया था
कौन करता नहीं गलतियां
हर तरफ ही खड़ीं गलतियां

12 comments:

  1. बहुत अच्छे से समझाया है आपने..ग़ज़ल भी खूब कही है...वाह...श्याम जी वाह...
    नीरज

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  2. बहुत ही उम्दा कृतियाँ

    ---
    चर्चा । Discuss INDIA

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  3. दोनों ग़ज़लें लाजवाब हैं और आपने बहुत ही आसान तरीके से ग़ज़ल की बारीकियों को समझाया है............ शुक्रिया

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  4. बेहद स्ंजीदा ढंग से समझाया.............अच्छी पंक्तियाँ लिखी है ........पढकर मजा आ गया...

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  5. बहुत खुब लिखा आप ने
    चित्र ने चार चांद लगा दिये इन गल्तियो पर.

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  6. खूब है आपका ये हुनर
    नाम मेरे लिखीं गलतियां ।
    बहुत ही सुन्‍दर पंक्तियों में आपकी यह रचना बेहतरीन है ।

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  7. नासमझ मैं नहीं जब रहा
    मुझको अपनी लगीं गलतियां
    bahut hi sundar!!!

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  8. हम धन्य हुये सर....इस सबक पर...और खास कर मतले के दूसरे रूप को दिखा कर आपने सबक को इतने अच्छे से समझाया है कि बस...
    "खूब है आपका ये हुनर
    नाम मेरे लिखीं गलतियां"
    बेहतरीन शेर !

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  9. अच्छा सबक रहा. इसे जारी रखें.

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  10. श्याम जी हम तो गजल पढने आये ठ वो भी केवल एक, मगर आये तो देखा एक के साथ एक फ्री का आफर चल रहा है और वो भी गजलगोई की सुन्दर जानकारी के साथ
    वाह क्या बात है
    निवेदन है जानकारी देने का सिलसिला आगे भी जारी रखिये

    वीनस केसरी

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  11. har taraf hi yahan galtiya,galtiya/kya teri galtiya kya meri galtiya/hain idhar galtiyan hain udhar galtiyan /dekho jis bhi tarf ,us taraf galtiya /hain yahan galtiyan hain vahan galtiyan....subhan allah.veerubhai

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