24न .ह
जिन्दगी-भर उदास रहना था
फिर तो मेरे ही पास रहना था
थे यहाँ तो महज अँधेरे ही
तुझको लेकर उजास रहना था
आमों मे वो तो हो गये हैं बबूल
उनको तो बन के खास रहना था
सब थे नंगे हमाम में फ़िर भी
तुमको तो बालिबास रहना था
देख कर तेरे हुस्न का जल्वा
किसको होशो-हवास रहना था
फ़ाइलातुन,मफ़ाइलुन,फ़ेलुन
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
आमों मे वो तो हो गये हैं बबूल
ReplyDeleteउनको तो बन के खास रहना था
-बहुत बेहतरीन!!!
वाह! क्या बात है! बहुत ही बढ़िया और शानदार ग़ज़ल लिखा है आपने!
ReplyDeleteक्या आप हमारीवाणी के सदस्य हैं? हमारीवाणी भारतीय ब्लॉग्स का संकलक है.
ReplyDeleteअधिक जानकारी के लिए पढ़ें:
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khoobsurat
ReplyDeletechhota bahar,bari baat,mukammal gazal,dher seekhen-ham jaise navsikiyon ke liye.kya baat hai,maja aa gaya shyam ji ke andaj-e-bayan se.
ReplyDeleteRAGHUNATH MISRA,KOTA(RAJ.)CONTACT:3-k-30,Talwandi,Kota(Raj.)
बेहद ख़ूबसूरत...मग़र जो होता ऐसा तो मैं अपनी तन्हाई से कैसे मिलता!
ReplyDeleteपूरी ग़ज़ल बहुत अच्छी
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार...
ReplyDeleteसभी शेर एक से बढ़कर एक..... वाह! आपने भी क्या लाजवाब ग़ज़ल कही है.
देख कर तेरे हुस्न का जल्वा
ReplyDeleteकिसको होशो-हवास रहना था
vaah!!kya baat hai.
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच
थे यहाँ तो महज़ अँधेरे ही ,तुझको लेकर उजास रहना था ,
ReplyDeleteसब थे हमाम में नंगे फिर भी ,तुमको तो बा -लिबास रहना था ।
हमेशा ही बेहतरीन अशार लिए रहते हैं आप -
तुझे तो प्यारे हर घर द्वार होना था ।
ग़ज़ल का हजारा बना लिया तूने ,
तुझे तो हर द्वार होना था ।
एक शैर आपकी नज़र -
वो आये घर -ब्लॉग हमारे ,कभी हम उनको कभी अपने घर -ब्लॉग को देखतें हैं ।
भाई डॉ . साहब रोहतकी ,बाहर निकलो ,बहुत से लोग आपकी बाटजोहतें हैं .