जब कि हर दिल में प्यार रहता है
दिल क्यों फिर बेकरार रहता है
गुल गुलामी करे है मौसम की
मस्त हर वक्त खार रहता है
भूल जाते हैं दोस्त को हम लोग
दिल पे दुश्मन सवार रहता है
वक्त तो लौटकर नहीं आता
शेष बस इन्तजार रहता है
‘श्याम’ अहसान चीज है जालिम
जिन्दगी भर उधार रहता है
मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/
दिल क्यों फिर बेकरार रहता है
गुल गुलामी करे है मौसम की
मस्त हर वक्त खार रहता है
भूल जाते हैं दोस्त को हम लोग
दिल पे दुश्मन सवार रहता है
वक्त तो लौटकर नहीं आता
शेष बस इन्तजार रहता है
‘श्याम’ अहसान चीज है जालिम
जिन्दगी भर उधार रहता है
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गुल गुलामी करे है मौसम की
ReplyDeleteमस्त हर वक्त खार रहता है
यही तो त्रासदी है ...
सुन्दर गज़ल
वक्त तो लौटकर नहीं आता
ReplyDeleteशेष बस इन्तजार रहता है..
सटीक लिखा है आपने! बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल! बधाई!
गज़ल पढ़कर खुशी का पारावार रहता है :)
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन गज़ल!!
ReplyDeleteBHOOL JATE HAI DOST KO HUM LOG
ReplyDeleteDIL MAI DUSMAN SAWAR RAHTA HAI
BAHUT BADHIYA BAAT HAI
KISHAN TIWARI
श्याम भाई
ReplyDeleteभूल जाते हैं दोस्त को हम लोग
दिल पे दुश्मन सवार रहता है
ये शेर बहुत बचिया है.... बार पढने का जी किया.....!!!!
Bahut khoob likha hai sir ji..
ReplyDeleteBeautiful.. n very touching n true. :)
वक्त तो लौटकर नहीं आता
शेष बस इन्तजार रहता है
‘श्याम’ अहसान चीज है जालिम
जिन्दगी भर उधार रहता है..
True.. keep writing sir.