Tuesday, February 10, 2009

****कोई क्यों अपना दिखाई दे

गर खुदा खुद से जुदाई दे
कोई क्यों अपना दिखाई दे

काश मिल जाये कोई अपना
रंजो-गम से जो रिहाई दे

जब न काम आई दुआ ही तो
कोई फिर क्योंकर दवाई दे

ख्वाब बेगाने न दे मौला
नींद तू बेशक पराई दे

तू न हातिम या फरिश्ता है
कोई क्यों तुझको भलाई दे

डूबने को हो सफीना जब
क्यों किनारा तब दिखाई दे

आँख को बीनाई दे ऐसी
हर तरफ बस तू दिखाई दे

साथ मेरे तू अकेला हो
अपनी ही बस आश्नाई दे

फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन

3 comments:

  1. क्या खूब है सर....क्या खूब "ख्वाब बेगाने न दे मौला/
    नींद तू बेशक पराई दे

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  2. साथ मेरे तू अकेला हो
    अपनी ही बस आश्नाई दे
    ......wah !! bada gehra arth tha !! sach kehta hoon ye line to dil main utar gayi....

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  3. काश मिल जाये कोई अपना
    रंजो-गम से जो रिहाई दे

    is sher ke, फाइलातुन कैसे लगाया है आपने, मुझे समझने में दिक्कत हो रही है।
    काश(फाइ) मिल्……

    ??

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