Wednesday, April 1, 2009

तुम तो पहलू में थे मगर

इतने नाजुक सवाल मत पूछो

इतने नाजुक सवाल मत पूछो
क्यों हूँ बरबादहाल मत पूछो

बात है गाँव की तबाही की
बाढ़ थी या अकाल मत पूछो

करो तदबीर अब निकलने की
किसने डाला था जाल मत पूछो


तेग का वार गैर का था मगर
किसने छीनी थी ढाल मत पूछो


काम क्या आई घुप अँधेरों में
जुगनुओं की मशाल मत पूछो


वक्त ने जिन्दगी को बख्शे हैं
कैसे -कैसे बबाल मत पूछो


तुम भला क्या शिकस्त दे पाते
थी ये अपनों की चाल मत पूछो


देखकर खुशगवार मौसम को
मन है कितना निहाल मत पूछो


तुम तो पहलू में थे मगर फिर भी
गम हुऐ क्यों बहाल मत पूछो


कैसे गुम हो गया शहर आकर
वो सितारों का थाल मत पूछो


‘श्याम’ से पूछ लो जमाने की
सिर्फ उसका ही हाल मत पूछो

फ़ाइलातुन,मफ़ाइलुन,फ़ेलुन

s1ss,1s1s,ss

9 comments:

  1. तेग का वार गैर का था मगर
    किसने छीनी थी ढाल मत पूछो
    श्याम जी सिर्फ ये शेर ही नहीं पूरी की ग़ज़ल कमाल की है...बेहतरीन शेर कहें हैं आपने एक से बढ़ कर एक...बहुत बहुत बधाई...
    नीरज

    ReplyDelete
  2. तुम तो पहलू में थे मगर फिर भी
    गम हुऐ क्यों बहाल मत पूछो


    --बहुत बेहतरीन!! वाह!!

    ReplyDelete
  3. वाह !! वाह !! बहुत बढिया ।

    ReplyDelete
  4. ऐसी गजल की दिल खुश हो गया

    (श्याम जी आपको शायद याद हो मैंने आपसे एक बार कहाँ था की आप गजल के साथ बहर के रुक्न भी लिख दिया करे हम जैसे सीखने वालों को सीखने का मौका मिलेगा )
    यह देख कर बहुत अच्छा लगता है की आपने हमारी इल्तजा कबूल की अब आपसे एक गुजारिश और कर रहा हूँ की हो सके तो बहर का पूरा नाम भी बताया करैं जिससे हमको और भी जानकारी मिले

    आपका वीनस केसरी

    ReplyDelete
  5. वाह श्याम साब "तेग का वार गैर का था मगर / किसने छीनी थी ढाल मत पूछो"
    जबरदस्त

    ReplyDelete
  6. बात है गाँव की तबाही की
    बाढ़ थी या अकाल मत पूछो

    करो तदबीर अब निकलने की
    किसने डाला था जाल मत पूछो

    क्या बात कही है श्याम जी, बहुत खूब, आपके vocab का तो जवाब नहीं, शब्दों की किसी तरह से कोई कमी नहीं लगती।

    वाकई लाजवाब !!

    कभी यहां भी आइयेगा - http://tanhaaiyan.blogspot.com

    ReplyDelete
  7. My favorites -

    बात है गाँव की तबाही की
    बाढ़ थी या अकाल मत पूछो

    करो तदबीर अब निकलने की
    किसने डाला था जाल मत पूछो

    तेग का वार गैर का था मगर
    किसने छीनी थी ढाल मत पूछो

    काम क्या आई घुप अँधेरों में
    जुगनुओं की मशाल मत पूछो
    .
    .
    .
    कैसे गुम हो गया शहर आकर
    वो सितारों का थाल मत पूछो

    ReplyDelete