Friday, July 3, 2009

फुटकर शे‘र-३





माना तेरे हा्थों में तब पत्थर था
पर क्या तेरी हर बात में नश्तर था

मुस्तफ़इलुन,मुस्तफ़इलुन,मुस्तफ़इलुन

15 comments:

  1. स्नेहिल मित्रो
    मैं आप सब का आभारी हूं कि आप मेरी रचनाओं को स्नेह से दुलारते हैं ।इधर कुछ दिन से मैं अपनी कुछ बहुत पसन्दीदा मुक्त छंद रचनाएं http://katha-kavita.blogspot.com/पर लगभग एक कविता प्रतिदिन पोस्ट कर रहा हूं समय मिले तो देखें
    आज की कविता का शीर्षक है
    भूख ने रोज़े रख लिये
    आपका सदा सा
    श्याम सखा

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  2. aap likhate hi itana badhiya hai.
    ek line me sab kuch kah jate hai..

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  3. ये दो लाइन की पंक्ति मे बहुत ही बडी बात छुपी है ..............

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  4. वाह वाह ओर बस वाह वाह
    धन्यवाद

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  5. श्याम भाई जी ,
    बहुत गहरी बात कह दी आपने दिल से बधाई.

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  6. असरकारी शेर कहा है.

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  7. निवेदन है आप फुटकर शेर में कम से कम ५ शेर पोस्ट किया करिए

    वीनस केसरी

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  8. FUTAKAR SHE'R ME KUCHH AUR ASH'AAR LIKHE MAAHUL AUR JAMEGAA BADHAAYEE SAHIB..


    ARSH

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  9. अहा!
    सुभानल्लाह साब !

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  10. bahut hi achha...i realy liked it :)

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