Monday, June 29, 2009
गज़लनसीब ने नसीब में जो लिख दिया सो लिख दिया
हकीम ने तो कह दिया,दवा नहीं मरीज की
दुआ भी गर करे नहीं करे भला क्या आदमी
gazal
बुझी-बुझी सी चाँदनी करे भला क्या आदमी
चिराग जब न जल सकें जले भला क्या आदमी
तुम्हीं ने दर्द था दिया,तुम्हीं न गम समझ सके
कि ऐसे हाल में कहो,जिये भला क्या आदमी
भरी-भरी सी दोपहर में आफ़ताब गुम हुआ
मशाल हाथ में लिये चले भला क्या आदमी
स्वयम् किया तो भोग ले,वो पुन्य हो कि पाप हो
किया जो दूसरों ने हो भरे भला क्या आदमी
हैं साँसे तो गिनी-चुनी,घटें-बढें कभी नहीं
तो मौत की सदा को सुन,डरे भला क्या आदमी
हकीम ने तो कह दिया,दवा नहीं मरीज की
दुआ भी गर करे नहीं करे भला क्या आदमी
नसीब ने नसीब में जो लिख दिया सो लिख दिया
न कोई भी मिटा सके करे भला क्या आदमी
है जिन्दगी तो चार दिन,कभी खुशी कभी है ग़म
बिला वजह ही दुश्मनी करे भला क्या आदमी
कहो जरा तो श्याम’अब किधर चलें कहां चलें
कि हर तरफ़ है आग जब करे भला क्या आदमी
मफ़ाइलुन,मफ़ाइलुन,मफ़ाइलुन,मफ़ाइलुन,72
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gazal
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भाई श्याम जी,
ReplyDeleteअपने अपनी जानदार ग़ज़ल के माद्यम से कई आयाम छुए हैं और आदमी की बेबसी को निम्न शब्दों में पेश किया है "करे भला क्या आदमी'
सत्य ही है. पर मन से मजबूर मजाक , मस्ती के लिए कहना ही पड़ता है,
है जिन्दगी व्यस्त इतनी , समय बच रहा अब कम
ब्लाग इतने हुए कि टिप्पणी करे भला क्या आदमी
एक बार पुनः बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
aap ne itana sundar kavita likha hai ki
ReplyDeletebaar baar padhane aur tippani karane ka man karata hai aur aap kah rahe hai ki kaun tippani kare..
aisi baat nahi hai..achchi rachanaon par hamesha tippani hoti rahegi..jaisa aaj aapne likha hai.
bahut achcha..dhanywaad
bahut hi umda gazal hai .................jawaab hi nahi hai mere paas
ReplyDeleteतुम्हीं ने दर्द था दिया,तुम्हीं न गम समझ सके
ReplyDeleteकि ऐसे हाल में कहो,जिये भला क्या आदमी.............
बहुत ही सुंदर .
श्याम सखाji 'श्याम'
ReplyDeleteबहुत खुब ....
महावीर बी सेमलानी
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
bahot khoob.......aur yeh sher to mujhe behad achha laga...
ReplyDeleteहकीम ने तो कह दिया,दवा नहीं मरीज की
दुआ भी गर करे नहीं करे भला क्या आदमी
shyam bhai,
ReplyDeleteghazal ke har sher mein anand aa gaya.badhai!!
हैं साँसे तो गिनी-चुनी,घटें-बढें कभी नहीं
तो मौत की सदा को सुन,डरे भला क्या आदमी
हकीम ने तो कह दिया,दवा नहीं मरीज की
ReplyDeleteदुआ भी गर करे नहीं करे भला क्या आदमी
वाह वाह क्या बात है,आप ने आदमी की बेबसी अपनी इस गजल मै दर्ज करवा दी.
धन्यवाद
मन को जीत करने लेने वाली रचना
ReplyDelete---
चर्चा । Discuss INDIA
man mohak rachna, har sher dil ko chhoota hua..........shyam ji bahut bahut badhaai.
ReplyDeleteहकीम ने तो कह दिया,दवा नहीं मरीज की
ReplyDeleteदुआ भी गर करे नहीं करे भला क्या आदमी
-बहुत खूब जनाब! वाह!
है जिन्दगी तो चार दिन,कभी खुशी कभी है ग़म
ReplyDeleteबिला वजह ही दुश्मनी करे भला क्या आदमी
कहो जरा तो श्याम’अब किधर चलें कहां चलें
कि हर तरफ़ है आग जब करे भला क्या आदमी
बहुत खूब
वीनस केसरी
है जिन्दगी तो चार दिन,कभी खुशी कभी है ग़म
ReplyDeleteबिला वजह ही दुश्मनी करे भला क्या आदमी
wah -- bahut khoob
हकीम ने तो कह दिया,दवा नहीं मरीज की
ReplyDeleteदुआ भी गर करे नहीं करे भला क्या आदमी
मन को छु गयी आपकी ग़ज़ल..... बहुत ही उम्दा, जीवन के अध्बुध दर्शन से भरे हैं सब के सब शेर............ नमन है आपकी लेखनी को
उत्तम विचार व भाव,
ReplyDeleteहिन्दी व्याकरण त्रुटि है ,मूल वाक्य--करे भला क्या आदमी-में,भला क्याकरे..,भला क्या डरे..,भला क्या चले .. होना चाहिये।
मतला बहुत ही जबरदस्त बन पड़ा है सर!
ReplyDeleteऔर "नसीब ने नसीब में जो लिख दिया सो लिख दिया " वाला शेर तो बस सुभानल्लाह !
आप सभी का आभार
ReplyDeleteश्याम सखा
shyaam ji,
ReplyDeleteghazal bahut hi umda hai.har sher laajwaab,kiski taarif na karoo.....dhanyawaad.