दर्द दिल में है पर मुस्करा
साँस खुलकर ले और खिलखिला
साँस खुलकर ले और खिलखिला
कर्ज तेरा है तू ही चुका
सर मगर अपना तू मत झुका
हाँ गिले-शिकवे होंगे सदा
तोड़ मत प्यार का सिलसिला
गर नहीं दम कि सच कह सके
बैठ तू बन कर इक झुनझुना
मत जुबाँ सी, अरे ‘श्याम’ तू
चोट खाई है तो बिलबिला
फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फ़ाइलुन
2111, 2111, 2111,
मेरा एक और ब्लॉग
http://katha-kavita.blogspot.com/
# भारतीय नववर्ष 2067 , युगाब्द 5112 व पावन नवरात्रि की शुभकामनाएं
ReplyDelete# रत्नेश त्रिपाठी
Bahut Sundar....Dhanywaad.
ReplyDeleteक्या बात है, बहुत खूब!
ReplyDeleteहाँ गिले-शिकवे होंगे सदा
ReplyDeleteतोड़ मत प्यार का सिलसिला
अच्छी ग़ज़ल!
खुबसुरत अंदाज।
ReplyDeletebahut khoobsurat abhivyakti.
ReplyDeleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति बेहतरीन गजल
ReplyDeleteअच्छी गजल...
ReplyDeleteआपका पेज जल्द नहीं खुलता कृपया इसे व्यवस्थित करें .
गर नहीं दम कि सच कह सके
ReplyDeleteबैठ तू बन कर इक झुनझुना
waah...lajawab...
Manoj ji ki baat par bhi dhyan den...
गर नहीं दम कि सच कह सके
ReplyDeleteबैठ तू बन कर इक झुनझुना
मत जुबाँ सी, अरे ‘श्याम’ तू
चोट खाई है तो बिलबिला..
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति! उम्दा प्रस्तुती!
I apologise shayam ji ...but I expect much more from you...I think you know who am I
ReplyDeleteहाँ गिले-शिकवे होंगे सदा
ReplyDeleteतोड़ मत प्यार का सिलसिला
वाह ! बहुत खूब!!