Monday, March 8, 2010




मुझको झूठ कभी रास नहीं आया
 सुनकर सच कोई पास नहीं आया



समझे कौन भला  अब दुख हाकिम का
 हुक्म बजाने  को   दास नहीं आया

भूखे पेट  सदा  सोये  हम   यारो
करना लेकिन उपवास नहीं आया

पाँव  बुजुर्गों  के  दाबे  हैं   हमने
यार हुनर यह अनायास नहीं आया

ईद  दिवाली    होली  त्यौहार गए 
अम्मा हिस्से अवकाश नहीं आया 

यार महाभारत बच जाता,करना
पाँचाली को उपहास नहीं आया

आम‘ सभी बिकते  हैं   बेभाव   यहाँ 
`श्याम `कभी बिकने खास‘ नहीं आया

मेरा एक और ब्लॉग
http://katha-kavita.blogspot.com/

8 comments:

  1. पाँव बुजुर्गों के दाबे हैं हमने
    यार हुनर यह अनायास नहीं आया

    मुझको झूठ कभी रास नहीं आया
    सुनकर सच कोई पास नहीं आया

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  2. भूखे पेट सदा सोये हम यारो
    करना लेकिन उपवास नहीं आया

    Yeh bharat ke 75 % gareeb logon ka sach hai...
    aapne haqiqat bayan kiya hai...

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  3. ‘आम‘ सभी बिकते हैं बेभाव यहाँ
    `श्याम `कभी बिकने ‘खास‘ नहीं आया
    क्या बात कह दी आपने...खास कभी नहीं बिकने आता.

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  4. .
    .
    .
    ऐसे मनाये महिला दिवस

    सर्वसाधारण के हित में >> http://sukritisoft.in/sulabh/mahila-diwas-message-for-all-from-lata-haya.html

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  5. मुझको झूठ कभी रास नहीं आया
    सुनकर सच कोई पास नहीं आया..
    vaah

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  6. मुझको झूठ कभी रास नहीं आया
    सुनकर सच कोई पास नहीं आया

    पाँव बुजुर्गों के दाबे हैं हमने
    यार हुनर यह अनायास नहीं आया

    ईद दिवाली होली त्यौहार गए
    अम्मा हिस्से अवकाश नहीं आया


    श्याम जी दिल खुश कर दित्ता :):)

    मज़ा आ गया

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  7. रचना की हर पंक्तियाँ झुमा गयी मस्त कर गयी ।

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