दिल में लेकर जो प्यास बैठीं हैं
क्यों समन्दर के पास बैठी हैं
पालकी के यूं पास बैठी हैं
सारी सखियां उदास बैठी है
खुदकुशी ठान ली चिरागों ने
ऑंधियां बदहवास बैठी हैं
मौत ने खत्म कर दिये शिकवे
खुदकुशी ठान ली चिरागों ने
ऑंधियां बदहवास बैठी हैं
मौत ने खत्म कर दिये शिकवे
सौतनें आस पास बैठी हैं
बेटे आफ़िस,बहुएं गईं दफ़्तर
घर सँभाले तो सास बैठी हैं
हो गई खत्म नस्ल रांझों की
हीर सारी उदास बैठी हैं
‘श्याम’ के आसपास बैठी हैं
गोपियां कर के रास बैठी हैं
मेरा एक और ब्लॉग
http://katha-kavita.blogspot.com/
बहुत खूब!!
ReplyDeleteवाह!
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हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
खुदकुशी ठान ली चिरागों ने
ReplyDeleteऑंधियां बदहवास बैठी हैं
बहुत सुन्दर
बेहतरीन
खुदकुशी ठान ली चिरागों ने
ReplyDeleteऑंधियां बदहवास बैठी हैं
bahut badhiya hai Sir.
Shyam ji Dil khush kar dittan
ReplyDeleteखुदकुशी ठान ली चिरागों ने
ReplyDeleteऑंधियां बदहवास बैठी है
is sher ko padh kar dimag sunn ho gaya :(
हो गई खत्म नस्ल रांझों की
ReplyDeleteहीर सारी उदास बैठी हैं
वाह लूट लिया आपने.....इस बेहतरीन शेर पर हजारों दाद क़ुबूल करें.....
खुदकुशी ठान ली चिरागों ने
ReplyDeleteऑंधियां बदहवास बैठी हैं
ग़ज़ल के हर शेर लाजवाब हैं।
अच्छी रचना,धन्यवाद.
ReplyDeleteउम्दा रचना।
ReplyDeleteखुलने में देर लग रही है । आप भी टेम्पलेट बदल कर देखें , शायद फर्क पड़े।
Bahut Sundar.
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर! लाजवाब प्रस्तुती!
ReplyDeleteमौत ने खत्म कर दिये शिकवे
ReplyDeleteसौतनें आस पास बैठी हैं
बहुत खूब ..क्या बात कही है.
लन्दन के स्कूलों में मनाया जाता है इंडिया डे. http://shikhakriti.blogspot.com/
खुदकुशी ठान ली चिरागों ने
ReplyDeleteऑंधियां बदहवास बैठी हैं
sundar..
खुदकुशी ठान ली चिरागों ने
ReplyDeleteऑंधियां बदहवास बैठी हैं
बेटे आफ़िस,बहुएं गईं दफ़्तर
घर सँभाले तो सास बैठी हैं
बेहतरीन ग़ज़ल कही है श्याम जी...सारे शेर कमाल के हैं...दाद कबूल करें
नीरज
खुदकुशी ठान ली चिरागों ने
ReplyDeleteऑंधियां बदहवास बैठी हैं
yeh sher uttam hai...! Waise puri ghazal achhi lagi!