Thursday, June 16, 2011

गुल गुलामी करे है मौसम की-----gazal shyam skha shyam

   जब कि हर दिल में प्यार रहता है
   दिल क्यों फिर बेकरार रहता है


  गुल गुलामी करे है मौसम की
 मस्त हर वक्त खार रहता है


 भूल जाते हैं दोस्त को हम लोग
 दिल पे दुश्मन सवार रहता है


वक्त तो लौटकर नहीं आता
शेष बस    इन्तजार रहता है



 ‘श्याम’ अहसान चीज है जालिम
   जिन्दगी भर उधार रहता है


मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

7 comments:

  1. गुल गुलामी करे है मौसम की
    मस्त हर वक्त खार रहता है
    यही तो त्रासदी है ...

    सुन्दर गज़ल

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  2. वक्त तो लौटकर नहीं आता
    शेष बस इन्तजार रहता है..
    सटीक लिखा है आपने! बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल! बधाई!

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  3. गज़ल पढ़कर खुशी का पारावार रहता है :)

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  4. बहुत बेहतरीन गज़ल!!

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  5. BHOOL JATE HAI DOST KO HUM LOG
    DIL MAI DUSMAN SAWAR RAHTA HAI

    BAHUT BADHIYA BAAT HAI

    KISHAN TIWARI

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  6. श्याम भाई
    भूल जाते हैं दोस्त को हम लोग
    दिल पे दुश्मन सवार रहता है
    ये शेर बहुत बचिया है.... बार पढने का जी किया.....!!!!

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  7. Bahut khoob likha hai sir ji..
    Beautiful.. n very touching n true. :)

    वक्त तो लौटकर नहीं आता
    शेष बस इन्तजार रहता है

    ‘श्याम’ अहसान चीज है जालिम
    जिन्दगी भर उधार रहता है..

    True.. keep writing sir.

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