Friday, June 24, 2011

जिन्दगी-भर उदास रहना था ?-- gazal shyam skha shyam


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जिन्दगी-भर उदास रहना था
फिर तो मेरे ही पास रहना  था

थे यहाँ तो महज अँधेरे ही
तुझको लेकर उजास रहना था


आमों मे वो तो हो गये हैं बबूल
उनको तो बन के खास रहना था




सब थे नंगे हमाम में फ़िर भी
तुमको तो बालिबास रहना था


देख कर तेरे हुस्न का जल्वा
किसको होशो-हवास रहना था

फ़ाइलातुन,मफ़ाइलुन,फ़ेलुन




मेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/

6 comments:

  1. बहुत अच्छी ग़ज़ल।

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  2. हमेशा की तरह अच्छे अश -आर आपके एक से एक .

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  3. बहुत बढ़िया और उम्दा ग़ज़ल! लाजवाब!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  4. आमों मे वो तो हो गये हैं बबूल
    उनको तो बन के खास रहना था

    -बेहतरीन...

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  5. RAGHUNATH MISRA,KOTA8/2/11, 3:42 PM

    Kya baat hai Shyam bhai.
    Suraj sa chamko.
    Prasun sa mahko.
    Har dil me har dam,
    Kundan sa mahko.
    --- RAGHUNATH MISRA,KOTA

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  6. RAGHUNTH MISRA,KOTA8/2/11, 3:45 PM

    Har dil ajij gajalon ke badshah ko Raghunath Misra ki hardik bahai,
    Suraj sa mahko.
    Prasun sa mahko.
    har dil mein hardam,
    kundan ban damko

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