जिन्दगी है वफ़ा,है वफ़ा जिन्दगीमुझसे है क्यों भला तू खफ़ा जिन्दगीगीत मैने लिखा या लिखी जब गजलनाम तेरे लिखा हर सफ़ा जिन्दगीढूंढने प्यार को मैं कभी जब गयामोड़ पर तू मिली हर दफ़ा जिन्दगीथी हकीकत मगर जाने कैसे भलाबन गई रह के उफ़ फलसफा जिन्दगीजानते सब नहीं क्या तेरी फितरतेंकह रही तू मुझे बेवफा जिन्दगीहै निरा गावदी ‘श्याम’ उसे क्या खबरइश्क नुकसान है या नफ़ा जिन्दगीफ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फ़ाइलुन-47
जिन्दगी है वफ़ा,है वफ़ा जिन्दगी
ReplyDeleteमुझसे है क्यों भला तू खफ़ा जिन्दगी
बहुत ही सुन्दर गज़ल है मगर पहला शे-ार बहुत ही लाजवाब है बहुत बहुत बधाई
ढूंढने प्यार को मैं कभी जब गया
ReplyDeleteमोड़ पर तू मिली हर दफ़ा जिन्दगी
थी हकीकत मगर जाने कैसे भला
बन गई रह के उफ़ फलसफा जिन्दगी...
bahut sundr laine,bdhai .
थी हकीकत मगर जाने कैसे भला
ReplyDeleteबन गई रह के उफ़ फलसफा जिन्दगी
लाजवाब डौक्टर साहब.............इस शेर में अपने जीवन का फलसफा लिख दिया है..........लाजवाब है आपकी ग़ज़ल दिल से निकली हुवे है सब के सब शेर
बहुत खूब श्याम जी...सफा लफ्ज़ शायद सफहा होता है...किसी उस्ताद से एक बार पूछ्लें...
ReplyDeleteनीरज
वाह वाह क्या गजल कही आपने दिल खुश हो गया
ReplyDeleteवीनस केसरी
श्याम भाई, आपने अपने स्वभाव के मुताबिक गजल पेश करके मुझे फिर दहला दिया है. मैं क्षमा चाहूँगा, एक महीने बाद वापसी हुई है. खुशी इस बात की है कि आप के दम खम के कमी क्या, इजाफा ही नजर आ रहा है. अनुपस्थिति के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.
ReplyDeleteथी हकीकत मगर जाने कैसे भला
ReplyDeleteबन गई रह के उफ़ फलसफा जिन्दगी
kubsurat rachna hai...
wah shyamji, sabhi sher umda, hamesha ki tarah ek behatareen rachna ke liye badhai sweekaren.
ReplyDeleteश्याम भाई
ReplyDeleteलाजवाब है आपकी ग़ज़ल!!!
ढूंढने प्यार को मैं कभी जब गया
मोड़ पर तू मिली हर दफ़ा जिन्दगी
आपकी ग़ज़लों ने बहुत प्रभावित किया , मैंने इन्हें गाते हुए पढ़ा | अब किसी दिन आपकी पुरानी पोस्ट को इत्मीनान से पढ़ा जाएगा |
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ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गज़ल है....
ReplyDeleteमेरी ग़ज़ल और समकालीन ग़ज़ल पत्रिका देखें..आपको अवश्य अच्छा लगेगा...
गीत मैने लिखा या लिखी जब गजल
ReplyDeleteनाम तेरे लिखा हर सफ़ा जिन्दगी
लाजवाब