सही फरमाया है .
बहुत खूब फरमाया है आपने। बधाई।-Zakir Ali ‘Rajnish’ { Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहेतरीन रचना।
अच्छा हो कि कविता यहीं दिखाई दे। पढ़ने में सुविधा होगी।
खूबसूरत शेर...........
umda ghazal.............mubaraq ho
पढ़ते ही मन ने बरबस ये पंक्तियाँ रच दीं ये जल तो लेते हैं एक दूसरे से अँधेरा अपनी तली का न पहचानें परवाह करते हैं सिर्फ अपनी ही नमी की दूसरा चुक रहा है ये हैं अनजाने
सही फरमाया है .
ReplyDeleteबहुत खूब फरमाया है आपने। बधाई।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहेतरीन रचना।
ReplyDeleteअच्छा हो कि कविता यहीं दिखाई दे। पढ़ने में सुविधा होगी।
ReplyDeleteखूबसूरत शेर...........
ReplyDeleteumda ghazal.............mubaraq ho
ReplyDeleteपढ़ते ही मन ने बरबस ये पंक्तियाँ रच दीं
ReplyDeleteये जल तो लेते हैं एक दूसरे से
अँधेरा अपनी तली का न पहचानें
परवाह करते हैं सिर्फ अपनी ही नमी की
दूसरा चुक रहा है ये हैं अनजाने