Monday, June 8, 2009



जिन्दगी है वफ़ा,है वफ़ा जिन्दगी
मुझसे है क्यों भला तू खफ़ा जिन्दगी

गीत मैने लिखा या लिखी जब गजल
नाम तेरे लिखा हर सफ़ा जिन्दगी

ढूंढने प्यार को मैं कभी जब गया
मोड़ पर तू मिली हर दफ़ा जिन्दगी

थी हकीकत मगर जाने कैसे भला
बन गई रह के उफ़ फलसफा जिन्दगी

जानते सब नहीं क्या तेरी फितरतें
कह रही तू मुझे बेवफा जिन्दगी

है निरा गावदीश्यामउसे क्या खबर
इश्क नुकसान है या नफ़ा जिन्दगी


फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फ़ाइलुन-47

13 comments:

  1. जिन्दगी है वफ़ा,है वफ़ा जिन्दगी
    मुझसे है क्यों भला तू खफ़ा जिन्दगी
    बहुत ही सुन्दर गज़ल है मगर पहला शे-ार बहुत ही लाजवाब है बहुत बहुत बधाई

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  2. ढूंढने प्यार को मैं कभी जब गया
    मोड़ पर तू मिली हर दफ़ा जिन्दगी
    थी हकीकत मगर जाने कैसे भला
    बन गई रह के उफ़ फलसफा जिन्दगी...
    bahut sundr laine,bdhai .

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  3. थी हकीकत मगर जाने कैसे भला
    बन गई रह के उफ़ फलसफा जिन्दगी

    लाजवाब डौक्टर साहब.............इस शेर में अपने जीवन का फलसफा लिख दिया है..........लाजवाब है आपकी ग़ज़ल दिल से निकली हुवे है सब के सब शेर

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  4. बहुत खूब श्याम जी...सफा लफ्ज़ शायद सफहा होता है...किसी उस्ताद से एक बार पूछ्लें...
    नीरज

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  5. वाह वाह क्या गजल कही आपने दिल खुश हो गया

    वीनस केसरी

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  6. श्याम भाई, आपने अपने स्वभाव के मुताबिक गजल पेश करके मुझे फिर दहला दिया है. मैं क्षमा चाहूँगा, एक महीने बाद वापसी हुई है. खुशी इस बात की है कि आप के दम खम के कमी क्या, इजाफा ही नजर आ रहा है. अनुपस्थिति के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

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  7. थी हकीकत मगर जाने कैसे भला
    बन गई रह के उफ़ फलसफा जिन्दगी

    kubsurat rachna hai...

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  8. wah shyamji, sabhi sher umda, hamesha ki tarah ek behatareen rachna ke liye badhai sweekaren.

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  9. श्याम भाई
    लाजवाब है आपकी ग़ज़ल!!!

    ढूंढने प्यार को मैं कभी जब गया
    मोड़ पर तू मिली हर दफ़ा जिन्दगी

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  10. आपकी ग़ज़लों ने बहुत प्रभावित किया , मैंने इन्हें गाते हुए पढ़ा | अब किसी दिन आपकी पुरानी पोस्ट को इत्मीनान से पढ़ा जाएगा |

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  11. बहुत ही सुन्दर गज़ल है....
    मेरी ग़ज़ल और समकालीन ग़ज़ल पत्रिका देखें..आपको अवश्य अच्छा लगेगा...

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  12. गीत मैने लिखा या लिखी जब गजल
    नाम तेरे लिखा हर सफ़ा जिन्दगी


    लाजवाब

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